हैप्पी सीडर से बिजाई करने पर मॉडल गांव चुना गया दाता¨सह वाला
धान के अवशेष न जलाने के बारे में उप मंडलीय निगरानी कमेटी की चेयरमैन एसडीएम डॉ. किरण ¨सह ने बताया कि दाता¨सह वाला गांव को मॉडल के रूप में चुना गया है। प्रशासन का प्रयास है कि धान के अवशेष जलाए बगैर ही सौ प्रतिशत बिजाई कराना हमारा लक्ष्य है।
संवाद सूत्र, नरवाना : धान के अवशेष न जलाने के बारे में उप मंडलीय निगरानी कमेटी की चेयरमैन एसडीएम डॉ. किरण ¨सह ने बताया कि दाता¨सह वाला गांव को मॉडल के रूप में चुना गया है। प्रशासन का प्रयास है कि धान के अवशेष जलाए बगैर ही सौ प्रतिशत बिजाई कराना हमारा लक्ष्य है। इसमें कृषि विभाग के ने 50 से 80 प्रतिशत तक सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर आदि कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया है।
सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम यह कंबाइन के साथ लगने वाला उपकरण है। जो धान फसल कटाई उपरांत पराली को छोटे टुकड़ों में काटकर पीछे बिखेर देता है, वह लाइन में नहीं गिरने देता। इसके बाद पराली को मल्चर स्ट्रा चौपर रीवर्सिबल प्लो की सहायता से मिट्टी में मिला कर खाद के रूप में बदला जा सकता है। इसमें खेत की जुताई की आवश्यकता नहीं पड़ती। हैप्पी सीडर से खेत में पराली बगैर जलाए बिजाई अच्छी तरह से की जा सकती है। धान कटे खेतों में पराली को इस मशीन के साथ काटकर मल्चर रूपी खेत में रखने से जैविक खाद भूमि में मिलती है। एसडीएम डॉ. किरण ¨सह ने बताया कि गांव दाता ¨सह वाला की तरह ही उपमंडल के अन्य गांवों में भी धान के अवशेष जलाए बगैर ही गेहूं की बिजाई हैप्पी सीडर से कराई जाएगी।