गांवों के स्कूलों में घट रही छात्र संख्या, अभिभावक बच्चों को शहर भेजने को दे रहे प्राथमिकता
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है। छात्र संख्या कम होने के कारण स्कूल मर्ज हो रहे हैं। पहले 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल बंद हुए।
जागरण संवाददाता, जींद : ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है। छात्र संख्या कम होने के कारण स्कूल मर्ज हो रहे हैं। पहले 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल बंद हुए। अब 25 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की बारी है। जिले में फिलहाल 16 स्कूल हैं, जिनमें छात्र संख्या 25 या इससे कम है। स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के कई कारण हैं। शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेना, शिक्षकों की भी ग्रामीण क्षेत्रों की बजाय शहर के स्कूलों में पढ़ाने को प्राथमिकता देना, निजी स्कूलों का चलन बढ़ना अहम कारण हैं। वहीं स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के पीछे एकल परिवार भी होना है। संयुक्त परिवारों में ज्यादातर फैसले बुजुर्ग लेते थे। शिक्षकों के अनुसार एकल परिवारों में फैसले बुजुर्गों की बजाय बच्चे की मां लेती है और प्राथमिकता निजी स्कूल होता है। कम छात्र संख्या वाले देशखेड़ा व रोज खेड़ा गांव के स्कूलों में शिक्षकों से बातचीत की गई। जिसमें सामने आया कि अभिभावक गांव के सरकारी स्कूल की बजाय नजदीक शहर में बच्चों को भेज रहे हैं। गांव में स्कूल बस आती है। जो परिवार साधन संपन्न है, वे पैसों की बजाय सुविधा को ज्यादा तवज्जो देते हैं।
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देशखेड़ा मिडल स्कूल में 10 विद्यार्थी, पांच शिक्षक
जुलाना ब्लॉक के देशखेड़ा के राजकीय माध्यमिक स्कूल में कक्षा छह से आठ तक 10 विद्यार्थी हैं और पांच शिक्षकों का स्टाफ है। ऐसे में छात्र संख्या कम होने के पीछे स्टाफ कम होने का कारण तो नहीं कह सकते। वहीं कक्षा प्रथम से पांच तक 18 विद्यार्थी हैं और दो शिक्षकों का स्टाफ है। जुलाना शहर नजदीक लगता है। अभिभावक अपने बच्चों को शहर भेजते हैं। शिक्षकों के अनुसार गांव की आबादी बहुत कम हैं। सरकारी नौकरियां अच्छी हैं और ज्यादातर परिवार संपन्न हैं। कुछ गरीब परिवारों के बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं।
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अभिभावकों से की है बात
देशखेड़ा मिडल स्कूल के मुखिया कृष्ण कादयान ने बताया कि 26 जनवरी को स्कूल में कार्यक्रम में अभिभावकों को बुलाया गया था। महिलाओं से उन्होंने बच्चे सरकारी स्कूल में भेजने के लिए बात की। कुछ महिलाएं अगले सत्र में बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूल में कराने को सहमत हुई। लेकिन कुछ महिलाओं की बातों से सामने आया कि उनके आसपास के बच्चे शहर निजी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। इसलिए वे भी अपने बच्चे को शहर भेजते हैं।
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रोज खेड़ा से शहर जाते बच्चे
उचाना ब्लॉक के रोज खेड़ा गांव के प्राइमरी स्कूल में छात्र संख्या 22 है और दो शिक्षकों का स्टाफ है। स्कूल का भवन भी बढि़या है। लेकिन पिछले कई सालों से छात्र संख्या नहीं बढ़ रही है। नजदीक उचाना शहर लगता है। गांव के ज्यादातर बच्चे उचाना निजी स्कूलों में जाते हैं। स्कूल इंचार्ज जेबीटी टीचर महिला ने बताया कि कई सालों से छात्र संख्या कम है। नए सत्र में दाखिले बढ़ाने के लिए अभियान चलाएंगे।
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अभिभावकों से करेंगे संपर्क
जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम है। उनकी स्कूल प्रबंधन कमेटी की मदद से गांवों में संपर्क अभियान चलाया जाएगा। अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में ज्यादा शिक्षित व योग्य शिक्षक हैं। शिक्षा का स्तर और बेहतर बनाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।
दिलजीत सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, जींद