दशरथ का पुत्र मोह में प्राण त्यागना रहा मार्मिक दृश्य
हुडा ग्राउंड में श्रीरामा भारतीय कला केंद्र के तत्वावधान में चल रही रामलीला के चौथे दिन का शुभारंभ समाजसेवी खजांची लाल गोयल व रामनिवास जैन ने रिबन काटकर किया।
संसू, नरवाना : हुडा ग्राउंड में श्रीरामा भारतीय कला केंद्र के तत्वावधान में चल रही रामलीला के चौथे दिन का शुभारंभ समाजसेवी खजांची लाल गोयल व रामनिवास जैन ने रिबन काटकर किया। मंचन में श्रीराम का लक्ष्मण व जानकी सहित वनगमन, अयोध्यापुरी के लोगों को समझा कर उन्हें लौटाना, राम-केवट संवाद और दशरथ का देहांत सभी प्रसंग बड़े रोमांचक रहे। जब श्रीराम गंगा पार करने के लिए केवट से नाव की मांग करते है, तो केवट उनके पैर पखारने की जिद्द करता है। केवट का भक्ति भाव देखकर राम उसे आज्ञा देते हुए कहते हैं कृपासिधु बोले मुसकाई, सोई करू जेहि तव नाव न जाई। इसके अतिरिक्त राजा दशरथ द्वारा मंत्री सुमंत को श्रीराम को वापिस लाने की जिद्द भी काम नहीं आती और श्रीराम सुमंत को वापिस अयोध्या भेज देते हैं। तत्पश्चात महाराज दशरथ श्राप का पूरा वृतांत रानी कौशल्या को सुनाते हैं कि उन्हें पुत्र वियोग का श्राप मिला हुआ है। जिस कारण उनके चार पुत्र होते हुए भी उनके पास कोई भी नहीं हैं। राजा दशरथ अत्यंत दारूण दशा में नाना प्रकार के विलाप करते हुए प्राण त्याग करना बड़ा मार्मिक ²श्य रहा। दशरथ के अभिनय में मेहर चंद, कैकेयी-प्रेम अरोड़ा, कौशल्या-कुलदीप वर्मा, राम-विशाल शर्मा, सीता-श्याम, लक्ष्मण-रामप्रकाश, खेवट-सुभाष नटवर, सुमंत-ओमप्रकाश जांगड़ा ने भूमिका निभाई।