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शिक्षा संस्कार का आधार : शास्त्री

स्वास्थ्य, प्रसन्नता और समरसता के लिए वैश्विक मानवीय मूल्य और समग्र शिक्षा विषय पर सीआरएसयू में चल रहे सात दिवसीय कार्यशाला का मंगलवार को समापन हो गया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. योगानंद शास्त्री शामिल हुए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:05 AM (IST)
शिक्षा संस्कार का आधार : शास्त्री
शिक्षा संस्कार का आधार : शास्त्री

जागरण संवाददाता, जींद : स्वास्थ्य, प्रसन्नता और समरसता के लिए वैश्विक मानवीय मूल्य और समग्र शिक्षा विषय पर सीआरएसयू में चल रहे सात दिवसीय कार्यशाला का मंगलवार को समापन हो गया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. योगानंद शास्त्री शामिल हुए।

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डॉ. शास्त्री ने कहा कि शिक्षा संस्कार का आधार है, जैसी शिक्षा हम लेंगे वैसे हमारे संस्कार होंगे। भारतीय संस्कृति को दुनिया की सबसे अच्छी संस्कृति माना जाता है।

उन्होंने कहा कि संस्कृति मां की गोद से शुरू होती है, जिसे उसका प्रथम शिक्षक माना जाता है, दूसरे शिक्षक उसके पिता एवं फिर उसके जीवन को बेहतर शिक्षा देने वाला उसका गुरु होता है, जो अपनी बेहतर शिक्षा से उसे संस्कारवान बनाता है। आचार्य जैसा निर्माण करेगा, विद्यार्थी वैसा ही बनेगा। विद्यार्थी अपने आचार्यो से गुण प्राप्त कर खुद का निर्माण करता है। हमें जब तक दूसरों को शिक्षा नहीं देनी चाहिए, तब तक खुद के अवगुण समाप्त न कर लें। कुलपति प्रो. आरबी सोलंकी को कार्यशाला के लिए बधाई दी।


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