शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाएं : जेपी शूर
डीएवी संस्थाओं के राष्ट्रीय निदेशक जेपी शूर ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अध्यापक का विकसित होना अनिवार्य है। अध्यापक न केवल बच्चे बल्कि सोसायटी के लिए रोल मॉडल का काम करते हैं।
जागरण संवाददाता, जींद
डीएवी संस्थाओं के राष्ट्रीय निदेशक जेपी शूर ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अध्यापक का विकसित होना अनिवार्य है। अध्यापक न केवल बच्चे बल्कि सोसायटी के लिए रोल मॉडल का काम करते हैं। शिक्षक भगवान का रूप होते हैं। बच्चा अपने माता-पिता की नहीं मानता, लेकिन शिक्षक की मानता है। इसका अर्थ यह हुआ भगवान के बाद यदि किसी की मान्यता है तो वह शिक्षक ही है। शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाएं। वह मंगलवार को डीएवी पब्लिक स्कूल में अध्यापकों की कार्यशाला में डीएवी जींद, नरवाना और सफीदों से आए हुए अध्यापकों को संबोधित कर रहे थे।
जेपी शूर ने कहा कि शिक्षा के मुख्य तीन स्तंभ हैं, बच्चे, अभिभावक और शिक्षक। जब तक इन तीनों का तालमेल नहीं होगा और तीनों में एक-दूसरे के प्रति जिज्ञासा का भाव नहीं होगा तब तक श्रद्धा पैदा नहीं होगी। डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि डीएवी और गैर डीएवी स्कूलों में स्पष्ट अंतर होना चाहिए। डीएवी स्कूलों का अपना इतिहास है और शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने की भी परंपरा है। उन्होंने डीएवी संस्थाओं के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम सूरी द्वारा निर्धारित डीएवी संस्थाओं के इस लक्ष्य को अध्यापकों के सामने रखा कि हमें गंदगी में से भी अच्छाई ढूंढ़नी है। अच्छे बच्चों को तो कोई भी अच्छा बना सकता है, लेकिन हमने हर प्रकार के बच्चे को अच्छा बनाना है। इस अवसर पर सफीदों डीएवी की प्राचार्या रश्मि विद्यार्थी, नरवाना के प्राचार्य रविद्र कौशिक तथा डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल जींद के प्राचार्य राजेश कुमार ने जेपी शूर का स्वागत किया।