घर में जंगल का आनंद ले रहे शिक्षक जगदीप सिंह
पेड़ों की ताजी सुगंधित हवा और फूलों व पत्तियों की भीनी-भीनी खुशबू लेने के लिए आपको जंगल जाना पड़ेगा। लेकिन जींद के शिक्षक जगदीप सिंह अपने घर में ही जंगल का आनंद उठा रहे हैं। इनका पूरा घर पौधों से भरा हुआ है। चारों तरफ हरियाली। हकीकत नगर स्थित उनके घर में करीब 300 वैरायटी के करीब 1500 पौधे हैं। इनमें 15 से लेकर 35 साल तक के बड़े वृक्ष भी हैं।
कर्मपाल गिल, जींद
पेड़ों की ताजी सुगंधित हवा और फूलों व पत्तियों की भीनी-भीनी खुशबू लेने के लिए आपको जंगल जाना पड़ेगा। लेकिन जींद के शिक्षक जगदीप सिंह अपने घर में ही जंगल का आनंद उठा रहे हैं। इनका पूरा घर पौधों से भरा हुआ है। चारों तरफ हरियाली। हकीकत नगर स्थित उनके घर में करीब 300 वैरायटी के करीब 1500 पौधे हैं। इनमें 15 से लेकर 35 साल तक के बड़े वृक्ष भी हैं। खास बात यह है कि ये सभी बोनसाइ पेड़ हैं और गमलों में लगे हुए हैं।
जेबीटी जगदीप सिंह कहते हैं कि बड़, पीपल, पिलखन सहित काफी ऐसे पेड़ हैं, जो दिन-रात आक्सीजन देते हैं। लोग इस नेचुरल आक्सीजन से दूर हो रहे हैं और अस्पतालों में महंगी ऑक्सीजन खरीदने को मजबूर हैं। अब वे गांवों में जाकर लोगों को पेड़ों और स्वच्छ पर्यावरण का महत्व बताएंगे। जगदीप कहते हैं कोरोना काल में वातावरण साफ हुआ है। नौतपा में भी कम प्रदूषण के कारण ही बारिश हुई है। जगदीप कहते हैं उनके 1988 में पहली बार घर में मनी प्लांट का पौधा लगाया था। धीरे-धीरे शौक बढ़ता गया। गमले खरीदने महंगे पड़ते थे, इसलिए टूटे मिट्टी के मटकों, बर्तनों व बाल्टी में पौधे लगाए। अब वह घर पर ही गमले बनाते हैं। इस साल वे सरपंचों से संपर्क करके गांवों में खाली जगहों पर पौधरोपण के प्रति जागरूक करेंगे और उन्हें पर्यावरण का महत्व बताएंगे।
सुगंध फैला रही हैं ये वैरायटी
जगदीप सिंह के घर में फाइकस, एरोकेरिया, रबिश पाम, नोलीना, एरिका पाम, फोनिक्स पाम, किग पाम, साइकद, अंजीर, पिलखन, बरगद, पीपल, पारस पीपल, मधुकामिनी, झुमका बेल, जुई बेल, चमेली बेल, रात की रानी बेल, बोगन बेल, मोगरा की बेल व पौधा, चंपा पौधा, बोटल ब्रुश पौधा, अमरूद, चैरी, करौंदा, चाइनीज करौंदा, मनी प्लांट, सहजन का पेड़, अशोका ट्री, चांदनी का पौधा, बिगनोनिया वेस्टा बेल, गुगल व चीड़ के पौधे खुशबू फैला रहे हैं। जाल, कैंदु, हिगो के पेड़ हैं, जिनके बारे में युवा पीढ़ी जानती भी नहीं है।
गमले में पौधे सूखने पर निराश न हों, ये तकनीक अपनाएं
पर्यावरण प्रेमी जगदीप सिंह कहते हैं कि काफी लोग घरों में गमलों में पौधे तो लगाते हैं, लेकिन तकनीक का पता न होने पर ये पौधे जल्दी सूख जाते हैं। इससे लोग निराश हो जाते हैं। गमले में छेद होना चाहिए ताकि पानी का रिसाव हो सके। मिट्टी तैयार करते समय एक हिस्सा घर बनाने में प्रयोग की जाने वाली रेत, एक हिस्सा सड़ी हुई खाद और एक हिस्सा मिट्टी का होना चाहिए। हर साल दो साल बाद बसंत या बारिश के समय गमले को रिपोट करना चाहिए। पूरा गमला खाली करके पौधे की जड़ का जाल काटकर मिट्टी पलटकर दोबारा लगाना चाहिए। पौधे की कंटाई-छंटाई करें। गमले में मूल जड़ काट दें और रेशेदार जड़ रख लें। पौधे का गुण होता है कि रेशेदार जड़ से ही दोबारा बढ़ जाता है।