Move to Jagran APP

दुष्टों के संहार के लिए अवतार लेते भगवान

जागरण संवाददाता, जींद : भगवान कृष्ण का जन्म अज्ञान और अंधकार को दूर करने के लिए हुआ। र

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 05:41 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 05:41 PM (IST)

जागरण संवाददाता, जींद : भगवान कृष्ण का जन्म अज्ञान और अंधकार को दूर करने के लिए हुआ। राजा कंस का जब अत्याचार बढ़ा तो भगवती पृथ्वी गऊ का रूप धारण कर संसार के रचियता ब्रह्मा के पास पहुंची थी। ये उद्गार आचार्य सतनारायण शास्त्री ने प्राचीन भूतेश्वर मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को श्रद्धालुओं को कहे।

loksabha election banner

आचार्य ने भगवान कृष्ण अवतरण प्रसंग में बताया संसार रचियता ब्रह्मा ने भगवान विष्णु से प्रेरणा लेकर कहा कि आप सभी देवगण बृजभूमि में जाओ। वहां जाकर कोई गोपी, कोई ग्वाला, कोई वृक्ष तो कोई लता-पता बनकर भ्रमण करें। क्योंकि भगवान ने स्वयं गीता में कहा है कि साधु-संत और गऊओं का उद्धार करने के लिए इस धरती पर बार-बार अवतार लेता रहूंगा। भगवान ने कभी पक्षपात नहीं किया। उन्होंने जो गति पापिन को दी, वही गति मां यशोदा को भी दी।

आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण के माखन चोरी का प्रसंग सुनाते हुए प्रवचनों में बताया कि बृज जैसे क्षेत्र से माखन करके तौर पर क्रूर राजा कंस को जाता था। उसे रोकने के लिए भगवान को माखन चोर बनना पड़ा। संदीपन ऋषि के आश्रम में बड़े भाई बलराम के साथ जब अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा ग्रहण की तो वहां गुरु माता ने गुरु दीक्षा के तौर पर समुद्र में खोए हुए अपने पुत्र को लाने की मांग की। भगवान ने तुरंत समुद्र में छलांग लगाई तो समुद्र ने मानव रूप धारण कर हाथ जोड़ भगवान को प्रणाम किया। उन्होंने शंखचूड़ राक्षस द्वारा पकड़े गए पुत्र को छुड़वाकर गुरु माता को सौंप दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.