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गुरु कंस को हंस, हंस को परमहंस बनाने में सक्षम : अचल मुनि

संवाद सूत्र, उचाना : जैन धर्म के महापर्व संवत्सरी के अगले दिन गीता विद्या मंदिर स्कूल में प्रार्थना सभ

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 11:37 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 01:34 AM (IST)
गुरु कंस को हंस, हंस को परमहंस बनाने में सक्षम : अचल मुनि
गुरु कंस को हंस, हंस को परमहंस बनाने में सक्षम : अचल मुनि

संवाद सूत्र, उचाना : जैन धर्म के महापर्व संवत्सरी के अगले दिन गीता विद्या मंदिर स्कूल में प्रार्थना सभा आयोजित की गई। शहर के साथ-साथ विभिन्न जिलों से पहुंच कर पौषद (व्रत) रखने वाले श्रद्धालुओं ने प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया। अचल मुनि महाराज ने फरमाया कि ¨जदगी में गुरू का बहुत बड़ा महत्व होता है। आप गाड़ी में कहीं जा रहे हैं। गाड़ी बिगड़ जाए और आपको रिपेयर करना आता है तो आप गियर, ब्रेक देखकर उसे ठीक कर लेते है। अगर आपको ठीक करना नहीं आता हो तो दूसरा उपाय यह है कि उसे गैराज में ले जाओ और किसी मैकेनिक को सौंप दो। वह ठीक कर देगा। अपने जीवन को अगर आप खुद ठीक कर सकते हो तो ठीक है वरना सद्गुरू रूपी गैराज में चले जाओ। वह तुम्हें पशु से परमेश्वर बना देंगे। सतगुरू भी तो जीवन के मैकेनिक है।

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जैन संत ने कहा कि वर्षा पहाड़ पर होती है लेकिन पहाड़ कभी नहीं भरते। वह सदा रीते के रीते रहते हैं। नदी, नाले, गढ्डे भर जाते है। जो खाली होते है वे ही भरते है। संतों के प्रवचन में पहाड़ बनकर मत आना, अहंकार लेकर मत माना। खाली आओगे तो संत तुम्हे लबालब भर देंगे। संत तुम्हे कोई उपदेश नहीं देंगे बल्कि जीवन का उद्ेश्य बताएंगे। आदेश नहीं देंगे बल्कि आचरण का पाठ पढ़ाएंगे। प्रवचन तो एक बहाना है बल्कि ये संत तुम्हें कंस से हंस व हंस से परमहंस बनाने के लिए आए है।


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