मामा कोथली लाए हैं, का मतलब आज समझ आया
नरवाना क्षेत्र की समाज सेविका व गांव पीपलथा की बेटी रेखा धीमान ने बताया कि सावन के महीने में हर साल हम बचपन से ही अपने दोस्तों- प्यारों से सुनते आए हैं कि मेरे मामा आज मेरी मां की कोथली लेकर आए हैं।
महासिंह श्योरान, नरवाना :
नरवाना क्षेत्र की समाज सेविका व गांव पीपलथा की बेटी रेखा धीमान ने बताया कि सावन के महीने में हर साल हम बचपन से ही अपने दोस्तों- प्यारों से सुनते आए हैं कि मेरे मामा आज मेरी मां की कोथली लेकर आए हैं। जब मैं अपनी मां से पूछती की कि मां आपकी कोथली कब आएगी, तो मां के पास कोई जवाब नहीं होता था, वह खामोश हो जाया करती थी। क्योंकि मां की माता, मेरी नानी इनके बचपन में ही गुजर गई थी और इनके भाई उनकी शादी होने के थोड़े समय बाद भगवान को प्यारे हो गए थे। बाद में नाना जी भी जल्दी ही चले गए थे। इसलिए मां का बचपन से ही लालन-पालन इनके ननिहाल में हुआ और कम उम्र में ही इनकी शादी कर दी गई थी। इसलिए मेरी मां की कोथली आज तक कभी नहीं आई, तो हमेशा मन में यही सवाल उठता कि यह कोथली आखिर होती क्या है। लेकिन इस बार कोथली लाने वाले मामा की पूर्ति की, नरवाना के पहुंचे हुए विद्वान एवं ज्योतिष पंडित मेहरचंद मुदगिल ने। जिन्होंने अचानक तीज के दिन मामा बनकर हमारे घर आए। उन्होंने देखा मामा मेहर चंद मोदगिल अपने पोता-पोती के साथ मां के लिए कोथली लेकर आए हैं। यह सब देखकर मेरी मां की आंखों में खुशी के आंसू भर आए। मेरी मां के जीवन में आज एक भाई की कमी पूरी हो गई और मुझे भी कोथली का मतलब सही मायने में समझ आ गया और मामा मतलब दो बार कहा जाने वाला मां। उन्होंने बताया कि आज के दौर में जहां खून के रिश्तों में भी वो पहले वाली बात नहीं, वहीं मामा जी ने एक नए रिश्ते की शुरुआत करके मानवता की एक मिसाल पेश की।