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खानपान की चीजों में मिलावट करके परोस रहे धीमा जहर

खान-पान की चीजों में मिलावट के रूप में लोगों को धीमा जहर परोसा जा रहा है। खाद्य पदार्थों में मिलावट नकली ब्रांड और घटिया गुणवत्ता के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:25 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 06:25 AM (IST)
खानपान की चीजों में मिलावट करके परोस रहे धीमा जहर
खानपान की चीजों में मिलावट करके परोस रहे धीमा जहर

जागरण संवाददाता, जींद : खान-पान की चीजों में मिलावट के रूप में लोगों को धीमा जहर परोसा जा रहा है। खाद्य पदार्थों में मिलावट, नकली ब्रांड और घटिया गुणवत्ता के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। मुनाफाखोरी और व्यापार की प्रतिस्पर्धा के कारण मिलावट का यह खेल बेधड़क चल रहा है। दाल, दूध, मावा, घी, मसाले, आटा, फल-सब्जियां सहित खाने-पीने की लगभग हर चीज में मिलावट की जा रही है। वहीं, कंपनियों के उत्पाद भी गुणवत्ता के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। मिलावट के धंधे को रोकने के लिए स्पेशल विग बनाई गई है, बावजूद इसके मिलावटखोरी पर लगाम कसने में नाकाम नजर आ रहे हैं। ऐसे हालातों में मिलावटखोर और घटिया सामग्री बेचने वाले लोग अपने धंधे को चमका रहे थे। ऐसा ही खुलासा जिला खाद्य एवं सुरक्षा विभाग को मिली सैंपल रिपोर्टो में हुआ, जिसमें न केवल खुली चाय पत्ती, दाल व ब्रांडेड देशी घी अनसेफ पाए गए। वहीं होटलों के शान कहे जाने वाला पनीर, कोल्ड ड्रिक, आइसक्रीम भी सबस्टैंर्डड के पाए गए हैं। मापदंडों पर खरे न उतरने वाले खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

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इनके सैंपल मिले फेल

जिला खाद्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा अगस्त माह तक 59 सैंपल लिए थे। इनमें से नौ वस्तुओं के सैंपल फेल मिले। फरवरी माह में बी वेजिटेबल प्रीमियम जुलाना का सैंपल लिया गया था। जो सब स्टैंडर्ड पाया गया। नरवाना में छह फरवरी को खुरमा का सैंपल लिया गया जो अनसेफ पाया गया। अप्रैल माह में हांसी रोड पर अवैध कोल्ड ड्रिक फैक्टरी पकड़ी तो माउंटऐन डयू मिस ब्रांड, मरिडा सब स्टेंर्डड पाई गई। जुलाई माह में सब्जी मंडी के पीछे हलवाई की दुकान से रसगूला का सैंपल लिया गया, जो अनसेफ पाया गया। एक अगस्त को जुलाना के होटल से पनीर का सैंपल लिया तो वह सब स्टेंर्डड पाया गया। 14 अगस्त को जींद में भिवानी रोड से खुली चाय पत्ती व दाल चना के सैंपल लिए गए। जो अनसेफ पाए गए। 29 अगस्त को हरियाणा उत्सव प्योर देशी घी के सैंपल रोहतक रोड से भरे गए। जो मिस ब्रांड पाया गया। इसी प्रकार रोहतक रोड से वीटा देशी घी का 29 अगस्त को सैंपल लिया गया, जो अनसेफ पाया गया।

सीएम फ्लाइंग ने चलाया स्पेशल अभियान

त्योहारी सीजन को देखते हुए सीएम फ्लाइंग ने विशेष अभियान चलाया है। पिछले एक पखवाड़े में सीएम फ्लाइंग ने पनीर, अचार, घी सहित दूसरी खाद्य वस्तु बनाने वाली जगह पर छापेमारी की। जहां पर सीएम फ्लाइंग ने वहां से करीब 20 सैंपल लिए गए हैं। सोमवार को सीएम फ्लाइंग ने जहां एक फैक्टरी में छापेमारी की तो वहां पर अचार खराब था और अचार के ड्रमों में मक्खी व पक्षियों की पंख पड़ी हुई थी। इसके बाद नरवाना में छापेमारी करके वहां से दूख के पाउडर व पाम ऑयल को मिलाकर मिलावटी पनीर तैयार किया जा रहा है। पनीर का यह धंधा जिले में जगह-जगह पर चल रहा है। जब सीएम फ्लाइंग सक्रिय हुई तो संबंधित विभाग भी सक्रिय हुआ है। इनमें मौजूद हानिकारक रसायन तरह-तरह की बीमारियों का कारण बन जाते हैं।

खराब खाद्य पदार्थ से होती कई बीमारियां

शरीर पर दुष्प्रभाव मिलावटी खाने से कई तरह की गंभीर बीमारियां होती हैं। डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि मसलन, लीवर व किडनी की समस्या, पेट में गड़बड़ी, डायरिया, कैंसर, उल्टी, दस्त, जोड़ों में दर्द, पाचन तंत्र, रक्तचाप व हृदय संबंधी परेशानियां, फूड पॉइजनिग, एनीमिया, त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती है। कई बार मिलावटी खाने से गर्भस्थ शिशु और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचता है। सोचने की क्षमता भी प्रभावित होती है। मिलावटी खाना खाने से एसिडिटी, अल्सर जैसी परेशानियां हो जाती हैं। लीवर पर सूजन आ सकती है। हेपेटाइटिस भी हो सकता है। आमाशय पर भी असर पड़ता है।

खुद ही बरतें सतर्कता

त्योहारी सीजन में खाने-पीने की चीजों विशेषकर मिठाई के मामले में खुद ही सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। क्योंकि फूड संबंधी मामलों में कानूनी प्रक्रिया इतनी लचीली है कि मिलावट पाए जाने के बाद भी दोषी को सजा नहीं मिल पाती। फूड संबंधी जांच सिर्फ सैंपल भरने तक और उसके बाद लेबोरेट्री से आने वाली रिपोर्ट तक ही सीमित रह जाती है। तब तक मिलावटी सामान पूरा का पूरा बाजार में बिक जाता है और इससे कई लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ चुका होता है।

साल दर साल बढ़े

वर्ष 2018 में जिले में लिए गए सैंपल में से 3 सैंपल अनसेफ, 12 सैंपल सब स्टैंडर्ड और 7 सैंपल मिस ब्रांडेड पाए गए थे। इस दौरान संबंधित व्यक्तियों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक लाख 35 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया।

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वर्ष 2019 में खाद्य वस्तुओं के कुल 43 सैंपल लिए। इसमें से 8 सैंपल सब स्टैंडर्ड पाए गए। 8 सैंपल में से एक को छोड़कर 7 सैंपल घी, तेल व मिठाई के थे। संबंधित व्यक्तियों से 1 लाख 69 हजार 800 रुपए का जुर्माना वसूला गया।

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अगस्त 2020 तक खाद्य वस्तुओं के 59 सैंपल लिए गए। इसमें से पांच सैंपल अनसेफ मिले। जबकि चार सेंपल सब स्टैंडर्ड मिले। इन संबंधित लोगों को जुर्माना के नोटिस भेजे गए हैं।

तीन कैटेगरी में होती है जांच

1. सब स्टैंडर्ड फूड : इसमें खाने की वस्तु निर्धारित मानक पूरे नहीं होते। उसे सब स्टैंडर्ड कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें सिर्फ जुर्माने का ही प्रावधान है। इस कैटेगरी में दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।

2. अनसेफ फूड : इसमें यदि खाद्य पदार्थ बिल्कुल भी खाने लायक नहीं है और उसके खाने से व्यक्ति की जान चली जाए या स्वास्थ्य खराब हो जाए। उसे अनसेफ कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें केस दर्ज होता है और मामला कोर्ट में चलता है। कोर्ट द्वारा इसमें जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है।

3 मिस ब्रांडिग फूड : इसमें खाद्य वस्तु को दूसरे ब्रांड के नाम से बेचा जाए पाने, ब्रांड एक्सपायरी डेट का होने या फिर ब्रांड अन्य किसी प्रकार गड़बड़ी पाए जाने पर उसे मिस ब्रांडिग कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें भी जुर्माने का प्रावधान है। इसमें दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।


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