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सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का सबूत नहीं दे पाने से रद हुआ जाटों का आरक्षण : सतबीर

जागरण संवाददाता, जींद : 134ए का मुद्दा उठाकर प्रदेश भर में चर्चा में आए दो जमा पांच जन मुद्दे आ

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Nov 2017 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 03:01 AM (IST)
सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का सबूत नहीं दे पाने से रद हुआ जाटों का आरक्षण : सतबीर

जागरण संवाददाता, जींद : 134ए का मुद्दा उठाकर प्रदेश भर में चर्चा में आए दो जमा पांच जन मुद्दे आंदोलन के अध्यक्ष एडवोकेट सतबीर हुड्डा ने कहा कि जाट समाज के लोग सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग में मजबूती के साथ अपने पैरवी पत्र दाखिल करेंगे, जिसमें जाट समाज के सामाजिक रूप से पिछड़ा होने के प्रमाण प्रस्तुत किए जाएंगे।

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शनिवार को जींद की जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सतबीर हुड्डा ने कहा कि मंडल कमीशन और गुरनाम ¨सह आयोग की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) एवं सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक रूप से पिछड़े होने का प्रमाण नहीं दे पाने की वजह से जाटों का आरक्षण रद हो गया था। अब उनका संगठन सरकार द्वारा गठित किए गए पिछड़ा वर्ग कमीशन में जाट, रोड़, बिश्नोई, सिख जाट, त्यागी व मूला जाट के आरक्षण के लिए पैरवी पत्र देकर जाटों के सामाजिक रूप से पिछड़े होने के तथ्य पेश करेगा। हुड्डा ने कहा कि कोर्ट के आदेशानुसार बीसी कमीशन बनाया गया है, जिसमें सरकार से जाट सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं या नहीं, इस संबंध में जानकारी मांगी गई है तथा अब इस आयोग द्वारा समाज के लोगों से भी इस बारे में अपनी राय देने के लिए कहा गया है, जिसके लिए एक से 30 नवंबर तक का समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश की प्राचीन वर्ण व्यवस्था में जाटों को शूद्र वर्ण में माना गया है। जिसके कारण जाटों को उच्च कहे जाने वाले तीनों वर्णों के साथ हुक्का-पानी पीने का अधिकार नहीं था।


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