जैन सभा के सर्वधर्म दिवस पर बोले अचल मुनि, धर्म खेत में नहीं, आत्मा में पैदा होता है
संवाद सूत्र, उचाना : एसएस जैन सभा द्वारा सर्व धर्म समन्वय दिवस मनाया गया। इसमें पंजाब, दिल्ली, जम्मू, यूपी
संवाद सूत्र, उचाना : एसएस जैन सभा द्वारा सर्व धर्म समन्वय दिवस मनाया गया। इसमें पंजाब, दिल्ली, जम्मू, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु पहुंचे। चातुर्मास के अंतिम दिनों में गुरु अचल मुनि ने कहा कि धर्म लड़ना नहीं बल्कि लाड़ करना सिखाता है। समभाव में ही धर्म है। विषमता में धर्म नहीं है। धर्म कभी खेत में पैदा नहीं होता ये हमारी आत्मा में पैदा होता है। विश्व भर में बंधुभाव रखना धर्म है। आज धर्म संप्रदाय में बांटा जा रहा है। मानवता एक है पर इंसान ने आदमी को बांट दिया। ¨हदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, फारसी, जैन, पंजाबी धर्म के नाम पर आदमी को बांटा जा रहा है। मजहब (धर्म) कभी भी लड़ना (वैर करना) नहीं सिखाता। धर्म कभी भी लड़ना, झगड़ना, तोड़ना, फोड़ना, दीवार करना नहीं सिखाता। धर्म तो टूटे हुए दिलों को जोड़ता है। आज मंदिर, मस्जिद के नाम पर लड़ाइयां हो रही हैं। जो धर्म आदमी-आदमी का बंटवारा कर रहा है, एक दूसरे को तोड़ रहा है याद रखना वो धर्म नहीं है वो कोरा पाखंड है। याद रखना ये धर्म नहीं धर्म तो प्रेम प्यार सीखाता है। इस मौके पर ऑल इंडिया जैन कांफ्रेस यूपी के अध्यक्ष सेठ मनमोहन जैन, गौरव जैन लुधियाना, रवि जैन जम्मू, किरोडी मल जैन उत्तराखंड, नरेद्र जैन दिल्ली, अ¨कत जैन यूपी, विजय कुमार जैन राजस्थान, सुरेंद्र गर्ग, सज्जन चौधरी, दयानंद जैन, शीलू बुडायन, भारतभूषण जैन मौजूद रहे।
इच्छाओं का सीमित करें : शीतल मुनि
शीतल मुनि ने कहा कि थोड़ा अपनी इच्छाओं को आवश्यकताओं को सीमित करें। आवश्यकताएं जब बढ़ती है तो ¨चताएं भी बढ़ती जाती है पर इच्छाओं को रोकने की एकमात्र दवा संतोष है। संतोषी सदा सुखी होता है। अखिल मुनि, निखिल मुनि ने भी गुरू की भक्ति में गीत प्रस्तुत किए। इस दौरान 23 साल से वर्षीय तप करने वाली चचंल जैन को जैन सभा द्वारा सम्मानित किया गया।
समय की कीमत पहचानो : अतिशय मुनि
अतिशय मुनि ने कहा कि समय की कीमत को पहचानो। समय की बर्बादी जीवन की बर्बादी है। समय को बर्बाद करना ¨जदगी बर्बाद करना है। पांच तरीकों से हम समय को बर्बाद करते है। ¨नदा, चुगली में एक दूसरे की आलोचना करने में, नींद में भी इंसान काफी समय जाया करता है, हवाई किले बनाने में भी योजनाएं बनाने में मानव का समय जाया हो रहा है, दायित्व हीन, कल पर टालने वाले, गैर जरूरी कामों को महत्व देना। अपने जीवन की समय की सार्थकता कैसे हो। सतसंग के द्वारा, सतसंग से जीवन की नाव के किनारा मिलता है।