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सात समंदर पार से प्रतिभाएं तराश रहे रामसरूप आर्य

अमेरिका में रामसरूप आर्य का बड़ा नाम है। उनकी गिनती न्यूयॉर्क के बड़े बिल्डरों में होती है। घर की आर्थिक तंगी के बीच इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी करके 1970 में अमेरिका गए राम सिंह के दिल में तड़फ है कि उनके प्रदेश हरियाणा के होनहार बचे आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई में पीछे न रहें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 06:50 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:50 AM (IST)
सात समंदर पार से प्रतिभाएं तराश रहे रामसरूप आर्य
सात समंदर पार से प्रतिभाएं तराश रहे रामसरूप आर्य

कर्मपाल गिल, जींद

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अमेरिका में रामसरूप आर्य का बड़ा नाम है। उनकी गिनती न्यूयॉर्क के बड़े बिल्डरों में होती है। घर की आर्थिक तंगी के बीच इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी करके 1970 में अमेरिका गए राम सिंह के दिल में तड़फ है कि उनके प्रदेश हरियाणा के होनहार बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई में पीछे न रहें। इसलिए पिछले 23 साल से करीब 150 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप दे रहे हैं।

जींद में निजी कार्यक्रम में पहुंचे हिसार जिले के गांव कालीरावण निवासी रामसरूप आर्य ने दैनिक जागरण से विस्तार से बातचीत की। रामसरूप आर्य ने कहा कि जब वह पंजाब यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिग की पढ़ाई कर रहे थे, तब पिताजी बड़ी मुश्किल से खर्च उठा पाते थे। उधार मांगकर मेरी फीस व हॉस्टल का खर्च देते थे। 1968 में उनका इंडियन इंजीनियरिग सर्विस में छठा रैंक आया था, लेकिन फिजिकली अनफिट करार देकर ज्वाइन नहीं किया। इसके बाद वह अमेरिका चले गए और कंसलटिग इंजीनियर के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। सांपला की संतोष दलाल के साथ शादी के बाद उनको भी साथ ले गए। उन्होंने भी फैशन डिजाइन की नौकरी शुरू कर दी। बाद में वह रियल एस्टेट के बिजनेस से जुड़ गए। पति-पत्नी के दिमाग में एक बात घूमती रहती थी कि जिस मिट्टी में पल-बढ़कर यहां पहुंचे हैं, उसका कर्ज भी उतारा जाए। इसलिए आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बाद 1996 में न्यूयॉर्क में नॉर्थ अमेरिकन जाट चैरिटी (एनएजेसी) संगठन बनाया। उसी साल से इस संगठन के बैनर तले प्रदेश के करीब 70-75 होनहार युवाओं को स्कॉलरशिप देनी शुरू कर दी। रामसरूप बताते हैं कि उन्होंने एक फिक्स एफडी करवा रखी है, जिसके ब्याज से 75 बच्चों को स्कॉलरशिप दी जा रही है। इस तरह हर साल करीब 150 से ज्यादा विद्यार्थियों की आर्थिक मदद की जा रही है। रामसरूप कहते हैं कि शिक्षा ही जिदगी की तस्वीर बदल सकती है, इसलिए हरियाणा, राजस्थान की कई अन्य शिक्षण संस्थाओं को भी आर्थिक मदद करते हैं।

आज दिल्ली में देंगे स्कॉलरशिप

रामसरूप आर्य ने बताया कि रविवार 17 नवंबर को दिल्ली के ग्रीनपार्क मेट्रो स्टेशन के पास गुरुकुल गौतम नगर में समारोह में करीब 150 बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाएगी। हर साल 15 अगस्त तक ऐसे बच्चों से आवेदन मांगते हैं, जो पढ़ाई में होशियार हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण मेडिकल, इंजीनियरिग व उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। अब हरियाणा के अलावा, पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के कुछ होनहार बच्चों को भी शामिल करते हैं।

अब 1300 बच्चों के माता-पिता

रामसरूप आर्य और संतोष आर्य के संतान नहीं है, फिर भी उनका परिवार काफी बड़ा है। इस दंपति ने अपने पैतृक गांव कालीरावण में पिता की याद में सुखराम मेमोरियल पब्लिक स्कूल चला रखा है। नो प्रोफिट-नो लॉस के आधार पर चल रहे इस स्कूल में कम फीस में ज्यादा सुविधाएं दी जा रही हैं। दंपति रामसरूप व संतोष आर्य कहती हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले सभी 1300 बच्चे उनके ही बेटे-बेटियां हैं। स्कूल में सिर्फ गांवों के बच्चों को दाखिला दिया जाता है।


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