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पुष्पा ने झिझक छोड़ सेनेटरी पैड का रोजगार चुना

फोटो नंबर---41 हिमांशु गोयल, जींद : जब गांव में सेनेटरी पैड बेचने का कार्य शुरू किया

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 01:23 AM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 01:23 AM (IST)
पुष्पा ने झिझक छोड़ सेनेटरी पैड का रोजगार चुना
पुष्पा ने झिझक छोड़ सेनेटरी पैड का रोजगार चुना

फोटो नंबर---41

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हिमांशु गोयल, जींद : जब गांव में सेनेटरी पैड बेचने का कार्य शुरू किया तो ग्रामीणों ने तरह तरह के ताने मारने शुरू कर दिए थे। क्योंकि महिलाओं को इस बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी। ग्रामीणों ने इस काम को लेकर कहा कि यह कोई काम है, एक महिला को गांव में सेनेटरी पैड बेचने का कार्य करते हुए शर्म आनी चाहिए। लेकिन ग्रामीणों को इन्हीं तानों को दबलैन गांव की पुष्पा ने पूरी तरह से मात दी ओर इसी काम को आगे बढ़ाते हुए दस महिलाओं को जोड़ गीता स्वयं सहायता समूह नाम से एक संगठन भी खड़ा कर दिया। इस संगठन में वह दस महिला भी से ही कार्य कर रही है। इन महिलाओं को उनके काम के हिसाब से मेहनताना दिया जाता है। पुष्पा ने बताया कि उन्होंने पैड बनाने का कार्य 2009 में शुरू किया था। यह उन्होंने इसी साल में ट्रे¨नग लेने के बाद शुरू किया था। ट्रे¨नग के दौरान जिलेभर में 25 गांवों की महिलाओं को पैड बनाने की मशीन दी गई थी। लेकिन उन सभी में से पुष्पा अभी तक यह कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि पिछले साल वह जुलाना में लड़कियों के स्कूल में 11 हजार रुपये के पैड बेच चुकी है। इसके बाद सफीदों, जुलाना व उचाना के गांव डुमरखां में 9 हजार रुपये तक के पैड बेच चुकी है।

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दो साल पहले सरकार से जारी हुआ था पैड खरीदने का पत्र

दबलैन गांव की महिला पुष्पा ने बताया कि 2016 में सरकार से पत्र जारी हुआ था कि जो भी महिला पैड बना रही है उनसे सरकार पैड खरीदेगी ओर उनको फ्री में लड़कियों को मुहैया करवाएगी। लेकिन दो साल बीत जाने के बाद सरकार ने आज तक एक भी पैड नहीं खरीदा। वह इसको लेकर तीन बार सीएम, एक बार वित मंत्री व तीन बार पीएमओ कार्यालय में भी बोल चुकी है। अभी तक पैड खरीदने को लेकर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

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सरकार की ओर से अब नहीं मिल रही कोई सहायता

पुष्पा बताती है कि सरकार ने जिस स्कीम के तहत यह कार्य शुरू करवाया था, उस स्कीम का नाम बदलकर अजीविका मिशन रख दिया था। सरकार स्कीम देने के बाद कोई सहायता नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने दूसरे विभागों की सहायता से स्टाल लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुरुक्षेत्र में गीता जयंती में स्टाल लगाने की अनुमति मांगी थी वह भी नहीं मिली।


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