बेटा-बेटी में आज भी फर्क मान रहे लोग, खेल रहे मौत का खेल
कहने को तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन बेटा-बेटी के बीच फर्क को लेकर आज भी सोच वही सदियों पुरानी है।
जागरण संवाददाता, जींद : कहने को तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन बेटा-बेटी के बीच फर्क को लेकर आज भी सोच वही सदियों पुरानी है। कानून की नजर में बेटा-बेटी एक समान हैं लेकिन गर्भ में शिशु की लिग जांच कर उन्हें मरवाने वाले लोगों की सोच में बदलाव नहीं आ पा रहा है। लिगानुपात के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। साल 2020 में जींद जिले में 10562 लड़कों पर 9545 लड़कियों ने जन्म लिया। प्रदेश भर में कभी तीसरे स्थान पर रहने वाला जींद आज 15वें स्थान पर खिसक गया है। जिले के लिगानुपात में आई कमी का बड़ा कारण यह है कि अब जिले की गर्भवती महिलाओं की गर्भ में भ्रूण लिग जांच हो रही है। पिछले 20 दिनों में स्वास्थ्य विभाग के पास इस तरह के दो मामले सामने आ चुके हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रूण लिग जांच का गोरखधंधा कितना तेजी से चल रहा है। सबसे बड़ी चिता की बात यह है कि इस गोरखधंधे स्वास्थ्य विभाग की आशा वर्कर तक शामिल हैं। सीमा पार ले जाकर गर्भवतियों की गर्भ में भ्रूण लिग जांच करवाई जा रही है। 15 दिन पहले गांव निडानी की आशा वर्कर को जींद की महिला को उत्तर प्रदेश में ले जाकर लिग जांच करवाते पकड़ा था। इसके अलावा पिछले सप्ताह ही एक निजी अस्पताल संचालिका को भी इसी तरह की संदेहजनक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था। इस कारण पिछले 3 साल में इस बार जिले का लिगानुपात सबसे कम स्तर 904 (1000 लड़कों के पीछे 904 लड़कियां) पर पहुंच गया है। पिछले साल से इस साल 34 अंकों की कमी लिगानुपात के मामले में आई है। साल 2020 में जिले में कुल 20 हजार 107 बच्चे पैदा हुए। इनमें बेटों की संख्या 10 हजार 562 जबकि बेटियों की संख्या 9545 है।
जींद के इन पांच गांवों का लिगानुपात रहा सबसे कम
गांव का नाम लिगानुपात (प्रति 1000) फरैण खुद -333 दाता सिंह वाला -333 कटवाल -357 मांडी कलां -422 भैरो खेड़ा -455 यह है पिछले 6 सालों का जिले का लिगानुपात
साल -लिगानुपात 2015 -857 2016 -900 2017 -898 2018 -927 2019 -938 2020 -904
भ्रूण लिग जांच पर कसेंगे शिकंजा : डा. मनजीत सिंह
सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह ने कहा कि जिले के लिगानुपात में इस बार कमी आई है। इसके सुधार के लिए आने वाले दिनों में भ्रूण लिग जांच पर और शिकंजा कसा जाएगा। जब भी भ्रूण लिग जांच होने संबंधी कोई सूचना मिलती है तुंरत उस पर कार्रवाई की जाती है।