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देशभक्ति का एेसा जुनून... शरीर पर गुदवा दिए 11 महापुरुषों के चित्र व 592 शहीदों के नाम

सेना के प्रति अभिषेक के दिल में इतनी दीवानगी है कि अपनी कमर में कारगिल के 559 शहीदों के नाम नाम गुदवा लिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 09:03 AM (IST)
देशभक्ति का एेसा जुनून... शरीर पर गुदवा दिए 11 महापुरुषों के चित्र व 592 शहीदों के नाम

जींद [कर्मपाल गिल]। खबर के साथ फोटो में खड़े पंडित अभिषेक गौतम से मिलिए। ये हापुड़ के रहने वाले हैं। एमबीए कर चुके हैं और पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं। राइटिंग के शौकीन हैं। बाइक पर हजारों किलोमीटर का सफर तय चुके हैं। आध्यात्मिक भी हैं, इसलिए देश के सभी धाम और ज्योर्तिलिंग देख चुके हैं, लेकिन अब इन्होंने जिंदगी का उद्देश्य बदल लिया है। खुद सेना में भर्ती नहीं हुए, लेकिन अब देश व सेना के प्रति लोगों में प्यार जगाने के मिशन को अपनी जिंदगी समर्पित कर दी है।

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सेना के प्रति अभिषेक के दिल में इतनी दीवानगी है कि अपनी कमर में कारगिल के 559 शहीदों के नाम नाम गुदवा लिए हैं। जींद के कैप्टन पवन सहित 33 अन्य शहीदों के नाम भी लिखवाए हैं। अमर जवान ज्योति व इंडिया गेट सहित देश के 11 महापुरुषों के टैटू भी बनवा लिए हैं। यह जुनून कैसे पैदा हुआ, इस बारे में अभिषेक कहते हैं कि एक बार दोस्तों के साथ श्रीनगर गया हुआ था।

एक दोस्त खाई में गिर गया तो सेना में काफी मदद की। लेह लद्दाख में मोबाइल नेटवर्क न होने से घर वालों से बात नहीं हो पाई, जिससे बेचैनी बढ़ गई। तब फौजियों से बात हुई तो पता चला कि उनकी महीनों तक बात नहीं हो पाती। बस यहीं से जिंदगी का उद्देश्य बदल गया। दिल से आवाज निकली कि सैनिकों के लिए ही कुछ किया जाए। आजकल टैटू सिंबल ऑफ लव बन चुका है। मुझे सैनिकों से प्यार हो गया था, इसलिए घर आते ही सबसे पहले सभी कारगिल शहीदों के नाम लिखवा लिए। अब हर रोज किसी न किसी शहीद परिवार से मिलता हूं।

अभिषेक ने बताया कि कल ही उसे पता चला था कि जींद में कैप्टन पवन खटकड़ का तीसरा शहादत दिवस मनाया जाएगा। इसलिए सुबह साढ़े 5 बजे बाइक से चला था। चार घंटे में जींद पहुंच गया। अभिषेक में सीआरएसयू में शहीद कैप्टन पवन के प्रतिमा स्थल से उसके पिता राजबीर के हाथों से मिट्टी ली।

शहीदों के घरों से इकट्ठी कर रहे मिट्टी

अभिषेक गौतम ने बताया कि वह अब तक 80 शहीदों के परिवारों से मिल चुके हैं। उनके घर से मिट्टी भी लेकर आता हूं। अब तक 36 परिवारों मिट्टी ले चुका हूं। 7 जून से आल इंडिया राइड शुरू कर रहा हूं। देश के हर राज्य में जाउंगा और शहीद सैनिकों के परिवारों से मिट्टी इकट्ठी करूंगा। इच्छा है कि इस मिट्टी के साथ कोई ऐसी चीज बनाई जाए, जिस पर पूरा देश गर्व कर सके। यह एक सैनिक की न होकर पूरे देश के सभी जवानों के लिए होगी।

सैनिकों से सीखें सहनशीलता

अभिषेक कहते हैं कि सैनिकों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। वह देश की सेवा तो कर ही रहे हैं। अनुशासन और एकजुटता भी सैनिकों से सीखी जा सकते हैं। एक यूनिट में ङ्क्षहदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों व जातियों के सैनिक व अधिकारी एकजुट होकर होते हैं। श्रीनगर में जवानों के हाथ में आटोमैटिक गन होती है, फिर भी लोग उन पर पत्थर बरसाते हैं तो भी वे शांत रहते हैं। इससे बड़ी सहनशीलता की मिसाल नहीं हो सकती। जबकि आम लोग सड़क पर चलते-चलते छोटी सी बात पर भिड़ जाते हैं। इसलिए मैं स्कूलों, कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं को बता रहा हूं कि सेना की जिंदगी को नजदीक से देखें, महसूस करें और उनसे सीखें।

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