तेज रफ्तार व लापरवाही बन रही काल, 323 दिन में हो चुके हैं साढ़े 300 से ज्यादा सड़क हादसे
जागरण संवाददाता, जींद : ट्रैफिक नियमों की अनदेखी व लापरवाही की वजह से हर साल सड़क पर
जागरण संवाददाता, जींद : ट्रैफिक नियमों की अनदेखी व लापरवाही की वजह से हर साल सड़क पर सैकड़ों ¨जदगी दम तोड़ रही हैं। बेलगाम वाहन सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे हैं। टूटी सड़कें, ओवरलोडिड और खटारा वाहन भी हादसों का कारण बन रहे हैं। इस साल की बात की जाए, तो एक जनवरी से अब तक साढ़े 300 से ज्यादा सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें काफी लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं।
शहर में जगह-जगह सड़के टूटी हुई हैं और गहरे गड्ढे बने हुए हैं। तेज रफ्तार वाहनों व बाइक सवारों को ये गड्ढे दिखाई नहीं देते, जिससे नियंत्रण खोने की वजह से हादसे हो जाते हैं। सीवर के मेनहोल भी हादसों का कारण बन रहे हैं। सीवर के मेनहोल को सड़क के समानांतर नहीं बनाया जाता है। कहीं इसे सड़कें से ऊपर तो कहीं सड़क के लेवल से नीचे छोड़ दिया जाता है। कुछ माह गोहाना रोड पर रेडक्रॉस सोसायटी कार्यालय के सामने बने सीवर के मेनहोल के गड्ढे की वजह से बाइक का नियंत्रण बिगड़ने से बाइक पर पीछे एक लड़की की मौत हो गई थी। शहर में गोहाना रोड के अलावा, सफीदों रोड, हांसी रोड, सब्जी मंडी से पटियाला चौक तक कई स्थानों पर मेनहोल सड़क से ऊंचे या नीचे हैं।
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टूटी पड़ी हैं सड़कें, नहीं दिख रही सफेद पट्टी
एसपी निवास के सामने सफीदों रोड की तरफ जाने वाली सड़क पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं। वहीं गोहाना रोड, रोहतक रोड, हांसी रोड समेत कई जगहों पर सफेद पट्टी गायब है, वहीं सड़क किनारे पेड़ों पर भी रिफ्लेक्टर नहीं लगे हुए हैं। अगर कहीं लगे हुए हैं, तो वे धुंधले पड़ चुके हैं, जो धुंध में रात के समय दिखाई नहीं देते हैं।
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ओवरलोडेड व खटारा वाहन भी बढ़ा रहे हादसे
भारी वाहन क्षमता से अधिक सामान लोड करके चलते हैं। ओवरलोड होने से नियंत्रण खो बैठते हैं, जिससे अकसर बड़े हादसे होते हैं। खटारा वाहन जो ट्रैफिक नियमों को पूरा नहीं करते हैं, बिना किसी भय के सड़कों पर सरपट दौड़ते हैं। जिले में 15 हजार से ज्यादा कॉमशिर््यल वाहन हैं। आरटीए द्वारा हर साल इनकी पा¨सग की जाती है, लेकिन ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिससे वाहनों की फिटनेस का सही पता लगाया जा सके।
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नहीं लगे हैं ट्रैफिक सिग्नल
लगभग 1.80 लाख आबादी वाले जींद शहर में केवल पटियाला चौक पर ही ट्रैफिक सिग्नल लगा है, वह भी अक्सर खराब रहता है। बाकी पूरे शहर में कहीं भी ट्रैफिक सिग्नल नहीं लगे हैं। शहर में देवीलाल चौक, सफीदों गेट, रोहतक रोड बाईपास पर हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है।
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पार्किंग की नहीं है व्यवस्था
शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग कहीं भी सड़क किनारे वाहन खड़ा करके चले जाते हैं। खासकर बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण समस्या ज्यादा है। वहीं दुकानदार भी सड़क किनारे सामान रख कर दुकान लगा लेते हैं। इससे सड़क पर वाहनों के गुजरने का रास्ता भी नहीं बचता है।
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33 डेंजर जोन दे रहे हादसों को न्योता
जिले में 33 ऐसे स्थान हैं, जहां अकसर हादसे होते रहते हैं। इस साल अब तक जिले में साढ़े तीन सौ से ज्यादा सड़क हादसे हो चुके हैं, इसके बावजूद प्रशासन गंभीर नहीं है। गांव ईक्कस से निकल रहे बाईपास पर बड़ा बीड़ वन में खतरनाक मोड़ है, जहां अक्सर हादसे होते रहते हैं। वहीं ईक्कस गांव के ही निकट टी प्वाइंट हैं, जहां हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है।
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ये रखें ध्यान
-सड़क पर हमेशा लेफ्ट साइड पर ही चलना है।
-किसी चौराहे या निर्धारित जगह से सड़क को क्रॉस करना है।
-बाइक चलाते समय हेलमेट का उपयोग करना है।
-कार चलाते समय सीट बेल्ट लगाना है।
-वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात नहीं करना है।
-नशा करके वाहन नहीं चलाना है।
-चौराहों पर सिग्नल के हिसाब से चलना है।
-सड़कों पर लिखे संकेतकों के मुताबिक वाहनों की गति रखना है और उनके अनुसार ही वाहन चलाना है।
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ट्रैफिक नियमों की करते हैं अनदेखी
-चाहे पैदल चलें या वाहन चलाएं, सड़कों पर लेफ्ट साइड का ध्यान नहीं रखते। गलत साइड पर अक्सर चलते हुए व वाहन ले जाते हुए नजर आते हैं।
-सड़क को मनचाहे स्थान से क्रॉस करते हैं। डिवाइडर पार कर कहीं से भी चलते हैं।
-बाइक चलाते समय हेलमेट और कार चलाते सीट बेल्ट नहीं बांधते।
-वाहनों को नशे की हालत में चलाते हैं और वाहन चलाते समय मोबाइल पर भी बात करते हैं।
-चौराहों पर सिग्नल का ध्यान नहीं रखते और कहीं से भी वाहन निकालने का प्रयास करते हैं।
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सफेद पट्टी का मामला मी¨टग में एडीसी के सामने उठाया था। जहां सड़कों पर सफेद पट्टी नहीं है, वहां सफेद पट्टी व सड़क किनारे रिफ्लेक्टर लगवाए जाएंगे। पटियाला चौक ट्रैफिक सिग्नल को ठीक करवा दिया है। शहर में जल्द ही कुछ और स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगवाए जाएंगे।
राजेंद्र ¨सह, ट्रैफिक एसएचओ।
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शहर में ट्रैफिक व्यवस्था काफी गंभीर है। लोग सड़क किनारे वाहनों को खड़ा करके चले जाते हैं। बगैर सिग्नल देखे कहीं से भी टर्न ले लेते हैं। यह मामला जिला प्रशासन के समक्ष उठाया था। आगे भी इस दिशा में काम करेंगे। रोड सेफ्टी आर्गेनाइजेशन (आरएसओ) का एसएसपी ने नए सिरे से गठन करने की बात कही है। संगठन में सक्रिय लोगों को जोड़ा जाएगा।
ताराचंद ¨जदल, पूर्व आरएसओ सदस्य।