डॉक्टरों के 208 में से 145 पद खाली, बुखार की दवा तक सिमटे सीएचसी और पीएचसी
बिजेंद्र मलिक, जींद दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों को हल्ला कहने वाले सीएम मनोहर लाल के प्रदेश
बिजेंद्र मलिक, जींद
दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों को हल्ला कहने वाले सीएम मनोहर लाल के प्रदेश के जींद जिले में स्वास्थ्य केंद्रों के हालात ठीक नहीं हैं। जिले में चिकित्सकों के दो तिहाई से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। सीएचसी और पीएचसी पर डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिले में कुछ सीएचसी और पीएचसी को छोड़ दिया जाए तो बाकी के हालात काफी खस्ता हैं। इन सेंटरों पर डिलीवरी की भी सुविधा नहीं है।
जिले में चिकित्सकों के कुल 208 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 145 पद खाली हैं। जिला मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल की बात करें, तो यहां 55 स्वीकृत पदों पर केवल 23 चिकित्सक ही हैं। आंख, नाक, कान व स्किन के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है। इसके चलते मरीजों को निजी अस्पतालों या दूसरे शहरों में अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। गायनी वार्ड में केवल दो महिला विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं की लंबी लाइन लगी रहती है। नरवाना, सफीदों और उचाना नागरिक अस्पताल की बात करें, तो यहां भी ऐसी ही स्थिति है। गांवों में बनी पीएचसी, सीएचसी व सब हेल्थ सेंटरों पर स्थिति इससे भी खराब है। ज्यादातर सीएचसी व पीएचसी तो बुखार की दवा देने तक सिमट कर रह गए हैं। सबसे बदतर हाल यह है कि बुखार की यह दवा भी नर्स या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी देते हैं, क्योंकि ज्यादातर पीएचसी व सीएचसी में डॉक्टर ही नहीं हैं।
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सीएचसी और पीएचसी के हालात
जिले की सभी सीएचसी व पीएचसी में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के पद खाली पड़े हुए हैं। सीएचसी अलेवा में डॉक्टरों के पांचों पद, कंडेला में सात में से छह, मुआना में पांच में से तीन, सफीदों में 11 में से पांच, उझाना में सात में से छह, जुलाना में सात में से तीन, खरकरामजी में सात में से छह, कालवा में सात में से पांच डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं पीएचसी छातर दो में एक, ¨ससर में दो में से दो, दुर्जनपुर दो में से एक, डूमरखां दो में से एक, ढाठरथ दो में से दो, रजाना कलां दो में से एक, अलेवा दो में से एक, सिवानामाल दो में से दो, रामराय दो में से दो, दरियावाला दो में एक, शामलो कलां दो में से एक, निडाना दो में से दो, दनौदा कलां दो में से एक, धमतान साहिब में दो में दो, हाट दो में से एक, डाहौला दो में से एक तथा घोघड़िया पीएचसी में डॉक्टरों के दोनों पद रिक्त हैं।
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आबादी के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र कम
मानदंडों के अनुसार जिले में सीएचसी, पीएचसी और सब हेल्थ सेंटर भी कम हैं। आबादी के अनुसार 80 हजार से 1.20 लाख आबादी पर एक सीएचसी होनी चाहिए। 30 से 50 हजार आबादी पर एक पीएचसी तथा पांच हजार की आबादी पर एक सब हेल्थ सेंटर होना चाहिए। जिले में 10 सीएचसी की जरूरत है, जबकि सीएचसी हैं। 35 पीएचसी होनी चाहिएं, लेकिन 22 पीएचसी हैं। 213 सब हेल्थ सेंटर होने चाहिए, जबकि 163 ही हेल्थ सेंटर हैं।
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पीएचसी का दर्जा मिला, सुविधा नहीं
2015 में नगूरां सब हेल्थ सेंटर को पीएचसी बनाने की घोषणा हुई थी। दो-तीन माह पहले पीएचसी का दर्जा मिल चुका है। दालमवाला रोड पर इसका भवन का निर्माण चल रहा है। फिलहाल अस्थायी रूप से भूतेश्वर मंदिर की धर्मशाला में चल रही है। लेकिन यहां स्टाफ भी पूरा नहीं है और मरीजों को दवाई भी नहीं मिल रही है। हसनपुर, चुहड़पुर, शाहपुर, दिल्लूवाला को इसके साथ जोड़ा गया है। दो एएनएम व एक सुपरवाइजर व एक हेल्थ वर्कर है। डॉक्टर कोई नहीं है। डॉक्टरों, फार्मासिस्ट व अन्य कुल पद रिक्त हैं।
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बुखार के अलावा कोई दवाई नहीं
पीएचसी नगूरां में दवाई लेने पहुंची नगूरां निवासी सरोज ने बताया कि खाली बुखार की दवाई यहां मिल रही है। इसके अलावा कोई उपचार नहीं मिल रहा है।
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नहीं मिला डॉक्टर
पीएचसी नगूरां में आई महिला सुदेश ने बताया कि वह दवाई लेने आई थी। उसे कई दिन से बुखार है। यहां आई, तो डॉक्टर नहीं मिला। फार्मासिस्ट भी नहीं है।
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चिकित्सकों के रिक्त पदों को लेकर कई बार मुख्यालय को पत्राचार करके अवगत कराया जा चुका है। पद रिक्त होने के कारण दिक्कतें तो आ रही हैं। लेकिन इसके बावजूद जो स्टाफ है, उससे मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने का प्रयास है। गर्भवती महिलाओं के नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड के लिए निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र से करार किया हुआ है।
डॉ. संजय दहिया, सिविल सर्जन, जींद।