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टूटते परिवारों को बसाने में भूमिका निभा रहा वन स्टॉप सेंटर

घरेलू हिसा व कलह से टूटते परिवारों को बसाने में वन स्टॉप सेंटर (सखी केन्द्र ) अहम भूमिका निभा रहा है। 11 नवंबर को नागरिक अस्पताल में शुरू हुए इस सेंटर के द्वारा 46 ऐसे परिवारों को पुन बसाने का काम किया है जो घरेलू हिसा व कलह के कारण टूटने के कगार पर पहुंच गए थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 06:40 AM (IST)
टूटते परिवारों को बसाने में भूमिका निभा रहा वन स्टॉप सेंटर
टूटते परिवारों को बसाने में भूमिका निभा रहा वन स्टॉप सेंटर

जागरण संवाददाता, जींद : घरेलू हिसा व कलह से टूटते परिवारों को बसाने में वन स्टॉप सेंटर (सखी केन्द्र ) अहम भूमिका निभा रहा है। 11 नवंबर को नागरिक अस्पताल में शुरू हुए इस सेंटर के द्वारा 46 ऐसे परिवारों को पुन: बसाने का काम किया है जो घरेलू हिसा व कलह के कारण टूटने के कगार पर पहुंच गए थे। कोई भी महिला घरेलू हिसा कलह व महिला उत्पीड़न के मामले को हरियाणा हेल्प लाइन नंबर 181 पर घर बैठे दर्ज करवा सकती है। सखी केंद्र जींद की संचालिका राजवंती ने बताया कि सखी केंद्र शुरू होने के बाद अब तक महिला उत्पीड़न से संबंधित 53 केस पंजीकृत हुए थे, जिनमें से 46 केसों का समाधान इस केंद्र द्वारा करवाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि महिलाओं से संबंधित केसों को निपटाने के लिए सेंटर द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे है। इस केंद्र में एक काउंसलर की भी नियुक्ति की गई है, जो मामलों के समाधान के लिए पीड़िता तथा दूसरे पक्ष के व्यक्ति की काउंसिलिग कर मामले का समाधान जल्द से जल्द करवाने का काम कर रहा है। केंद्र में पीड़ित महिलाओं के रहने, खाने की फ्री व्यवस्था की गई है। कोई भी पीड़ित महिला इस केंद्र में नि:शुल्क ठहर सकती है। केंद्र में एक साथ पांच महिलाओं के ठहरने की व्यवस्था है। केंद्र के माध्यम से घरेलू हिसा, महिला तस्करी, बाल यौन शोषण, बलात्कार, बाल विवाह, दहेज उत्पीड़न, एसिड अटैक, साईबर क्राइम तथा गुमशुदा समेत अन्य मामलों से पीड़ित महिलाएं सहायता प्राप्त कर सकती है।

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उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित सखी केंद्र को निर्भया फंड के तहत बजट उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह महिलाओं के लिए एक ऐसा सुविधा केंद्र है, जिसके माध्यम से महिलाएं लगभग हर प्रकार के मामलों का समाधान करवा सकती है। उन्होंने महिलाओं से भी अपील की है कि वे मामलों के समाधान के लिए न्यायालयों के चक्कर काटने की बजाए इस केंद्र द्वारा अपने विवादों का समाधान करवाएं।


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