अब जींद में संगठन का ताना-बाना बदलेंगे धनखड़
पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब जिले में पार्टी संगठन का ताना-बाना बदलना तय है।
कर्मपाल गिल, जींद
पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब जिले में पार्टी संगठन का ताना-बाना बदलना तय है। धनखड़ ग्रास रूट की राजनीति करने वाले नेता हैं। उन्होंने खुद काफी संघर्ष किया है, इसलिए अब पार्टी के लिए समर्पित व मेहनती नेताओं को अच्छा पद मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
धनखड़ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और किसान मोर्चा में करीब दो दशक तक काम किया है। वह संगठन के हर पहलू से परिचित हैं। भाजपा के पुराने नेताओं का कहना है कि पार्टी को संगठन के स्तर पर मजबूत करने के लिए धनखड़ जैसे नेता की ही सख्त जरूरत थी। 1980 से 1996 तक एबीवीपी में काम करते हुए जींद में उनकी सक्रियता बराबर बनी रहती थी। 1996 में भाजपा में आने के बाद और किसान मोर्चा के दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान भी धनखड़ ने जींद में पार्टी को शहर और गांवों में मजबूत करने के लिए सक्रिय टीम गठित की थी। धनखड़ के किसान मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान ही पहली बार गांवों में किसानों के बीच भाजपा की चर्चा चलनी शुरू हुई थी।
जीजा संजय पंवार को बधाई देने वालों का तांता
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धनखड़ के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अर्बन एस्टेट स्थित उनकी बहन शर्मिला व जीजा संजय पंवार को बधाई देने वालों की भीड़ लगी रही। भाजपा के कई नेता भी संजय पंवार का मुंह मीठा कराने पहुंचे। किसान मोर्चा के जिला प्रधान तेजेंद्र ढुल, बलकार डाहौला, बिट्टू पंवार, सुनील साहू, सुरेश साहू, रोहित ढांडा, वीरेंद्र पंवार, राजकुमार टंडन सहित काफी लोगों ने संजय पंवार को बधाई दी। विधायक डॉ. कृष्ण मिढ़ा, प्रदेश सचिव रहे जवाहर सैनी, दलशेर लोहान, पुरुषोतम शर्मा, जसमेर रजाना ने भी धनखड़ के प्रदेशाध्यक्ष बनने पर खुशी जताई।
नड्डा के साथ धनखड़ की पुरानी दोस्ती
ओमप्रकाश धनखड़ के जीजा संजय पंवार ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व धनखड़ के बीच पुरानी मित्रता है। दोनों ने एबीवीपी में लंबे समय तक काम किया है। संजय कहते हैं कि धनखड़ जी जब भिवानी के हलवासिया विद्या विहार में ज्योग्राफी में लेक्चरर थे, तब वह उनके पास पढ़ते थे। वह कहते थे कि रात को सोने से पहले एक लाइन का चितन करना चाहिए कि हमारा लक्ष्य क्या है। ऐसा करेंगे तो गलत दिशा में चलते ही अंदर से आवाज आएगी कि हमारा लक्ष्य अलग है और सही राह पर चलना है। उनकी सकारात्मकता ही बड़ी ताकत है।