अब बिना शेड्यूल होगी कपास की खरीद
सरकारी खरीद पर सीसीआइ को अपनी कपास बेचने के लिए किसान फोन कॉल मैसेज आने का इंतजार नहीं करें। जिन किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्योरा पर फसल का पंजीकरण करवाया है वो अब शनिवार रविवार को छोड़कर अन्य किसी भी दिन अपनी कपास को सरकारी खरीद पर बेच सकता है।
संवाद सूत्र, उचाना : सरकारी खरीद पर सीसीआइ को अपनी कपास बेचने के लिए किसान फोन कॉल, मैसेज आने का इंतजार नहीं करें। जिन किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्योरा पर फसल का पंजीकरण करवाया है वो अब शनिवार, रविवार को छोड़कर अन्य किसी भी दिन अपनी कपास को सरकारी खरीद पर बेच सकता है। सीसीआइ द्वारा अब जो शेड्यूल बनाया जाता था उसे बंद कर दिया गया है। अब बिना शेड्यूल के आने वाले किसानों की भी कपास भी खरीदी जाएगी। किसानों को केंद्र द्वारा निर्धारित किया गया एमएसपी रेट खरीद पर मिल रहा है। प्राइवेट बोली पर जो भाव किसानों को मिलते है वहां से काफी अधिक भाव सरकारी खरीद पर मिलने से किसानों का रूझान सरकारी खरीद की तरफ इस बार हुआ है।
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ये कागजात लेकर आए किसान
सीसीआइ इंचार्ज बादल सिंह ने बताया कि मेरी फसल-मेरा ब्योरा पंजीकरण की कापी जिसमें कपास लिखी हो, आधार कार्ड, बैंक खाता, दो पासपोर्ट साइज फोटो साथ लेकर किसान जरूर आएं। हाईवे पर अतिरिक्त मंडी में 10 बजे से लेकर 2 बजे तक किसान अपनी फसल बेच सकते हैं। अब किसी तरह के शेड्यूल की कोई जरूरत नहीं है। बिना फोन कॉल, मैसेज के किसान अपनी फसल लेकर मंडी में शनिवार, रविवार को छोड़ कर आ सकते हैं। किसानों को अधिक से अधिक 8 फीसद तक नमी वाली फसल के 5725 रुपये प्रति क्विंटल तो 12 फीसद तक नमी वाली कपास के भाव 5496 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किए गए हैं।
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सरकारी खरीद से बल्ले-बल्ले
किसान वीरेंद्र, अमित, राजा, सुनील ने कहा कि सरकारी खरीद से किसानों की बल्ले-बल्ले हो गई है। जो भाव किसानों को सरकारी खरीद पर मिल रहे हैं वो भाव मंडी में प्राइवेट खरीद पर नहीं मिल रहे हैं। एमएसपी रेट पर कपास बेच कर किसानों को आर्थिक फायदा भी हो रहा है। सरकारी खरीद किसानों के लिए इस बार फायदेमंद साबित हुई है। कई वर्षो से सरकारी कपास की खरीद की मांग कर रहे थे जिसके चलते सरकारी खरीद सीसीआइ ने की।
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सरपंच गांवों में कराएं मुनादी
मार्केट कमेटी सचिव सतबीर सिंह ने कहा कि किसानों को जागरूक करने के लिए सरपंच भी अपने गांवों में मुनादी करवाएं ताकि किसानों को सरकारी खरीद पर सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी रेट फसल बेचने के बाद मिल सके।