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नप प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिग के लिए 6 को बुलाई मीटिग

नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचेगी या जाएगी। इसका फैसला छह नवंबर को होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 06:00 AM (IST)
नप प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिग के लिए 6 को बुलाई मीटिग
नप प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिग के लिए 6 को बुलाई मीटिग

जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचेगी या जाएगी। इसका फैसला छह नवंबर को होगा। प्रशासन ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिग के लिए छह नवंबर को सुबह 11 मीटिग बुलाई है। इसके लिए एसडीएम की तरफ से सभी पार्षदों को पत्र भेजा गया है। फिलहाल पूनम सैनी की स्थिति मजबूत दिख रही है। उसे कुर्सी बचाने के लिए एक तिहाई यानि 31 में से 11 पार्षदों की जरूरत है। उसके समर्थन में 12 पार्षद हैं। 18 सितंबर को प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 21 पार्षदों की तरफ से डीसी डा. आदित्य दहिया को शपथ पत्र सौंपे गए थे। जिससे प्रधान की कुर्सी जाना तय लग रहा था। प्रधान पूनम सैनी के पति बीजेपी नेता जवाहर सैनी हैं। जो बीजेपी के प्रदेश सचिव भी रह चुके हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा की खिलाफत करने के आरोप लगे थे। जिसके बाद उनका प्रदेश सचिव का पद चला गया था। जिससे उनका पार्टी में कद घटने की बात होने लगी थी। प्रधान के खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव के लिए शपथ पत्र सौंपे गए। उसमें पर्दे के पीछे बीजेपी के ही कुछ स्थानीय प्रभावी लोगों की भूमिका रही। लेकिन फिर परिस्थितियां बदली और विरोधी खेमे में गए दो पार्षद वापस प्रधान पूनम सैनी के खेमे में आ गए। विरोधियों को पूनम सैनी को प्रधान पद से हटाने के लिए दो तिहाई यानि 21 पार्षदों का बहुमत चाहिए। लेकिन दो पार्षदों के साथ छोड़ने के कारण अभी उनके पास 19 पार्षद ही हैं। विरोधी खेमे के पार्षद प्रवीन बेनिवाल ने कहा कि कहने को तो कोई भी दावे कर सकता है। किसके पास कितने पार्षद हैं। इसका फैसला वोटिग से हो जाएगा।

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पार्टी के साथ आने से बदले समीकरण

सीएम मनोहर लाल और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के जवाहर सैनी नजदीकी रहे हैं। वहीं ओमप्रकाश धनखड़ के साथ भी वे पहले संगठन में काम कर चुके हैं। ओमप्रकाश धनखड़ जब प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार जींद पहुंचे, तो उन्होंने जवाहर सैनी के घर लंच किया था। पिछले महीने पार्टी के निर्देश पर बीजेपी जिला प्रधान राजू मोर नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचाने के लिए आगे आए और वार्ड 30 के पार्षद राममेहर ठेकेदार को डीसी से मिलवा कर अविश्वास प्रस्ताव से उनका नाम वापस दिलवाया। उसके बाद वार्ड 25 की पार्षद, बीजेपी महिला मोर्चा की पदाधिकारी भी हैं।

दो पार्षदों की सदस्यता के फैसले पर विरोधियों की उम्मीदें

वार्ड 30 के पार्षद राममेहर पर अतिक्रमण करने और वार्ड पांच के पार्षद कर्मबीर मोना पर पीएमएवाइ का गलत तरीके से लाभ लेने का आरोप है। जांच में दोनों पर लगे आरोप सही पाए गए। जिसके बाद जिला नगर आयुक्त ने स्थानीय निकाय विभाग मुख्यालय को दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी थी। विरोधी खेमा मांग कर रहा है कि इन पार्षदों की तुरंत सदस्यता खत्म की जाए। अगर इन दोनों पार्षदों की सदस्यता खत्म हो जाती है, तो प्रधान के समर्थन में 10 पार्षद रह जाएंगे। इससे विरोधियों को दोबारा दो तिहाई बहुमत पूरा करने का मौका मिल सकता है। लेकिन सदस्यता का फैसला मुख्यालय से होना है।

डीसी से जल्द मीटिग बुलाने का निवेदन किया था : प्रधान

नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी ने कहा कि पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए शपथ पत्र दिए थे। इसके लिए जल्द मीटिग की डेट देने के लिए उन्होंने डीसी से निवेदन किया था। ताकि शहर के विकास कार्य प्रभावित ना हों। उनके पास पूर्ण बहुमत है। अगर विरोधी पार्षदों के पास बहुमत है, तो वे छह नवंबर को मीटिग में साबित करें।


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