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महादेव का जलाभिषेक आज, शुभ मुहूर्त सुबह 9:10 से दोपहर 2 बजे तक

मंगलवार को भगवान शिव का जलाभिषेक है और सभी शिव मंदिर सज चुके हैं। सोमवार को विभिन्न मंदिरों में गूंजते दिन भर बोल बम बम-बम बम लहरी के गानों से वातावरण भक्तिमय हो गया। शिव भक्तों के हरिद्वार तथा गोमुख से कांवड़ लेकर पहुंचने तथा शिवरात्रि के लिए मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां सोमवार रात से ही शुरू हो गई थीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 08:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 08:01 AM (IST)
महादेव का जलाभिषेक आज, शुभ मुहूर्त सुबह 9:10 से दोपहर 2 बजे तक
महादेव का जलाभिषेक आज, शुभ मुहूर्त सुबह 9:10 से दोपहर 2 बजे तक

जागरण संवाददाता, जींद : मंगलवार को भगवान शिव का जलाभिषेक है और सभी शिव मंदिर सज चुके हैं। सोमवार को विभिन्न मंदिरों में गूंजते दिन भर बोल बम, बम-बम, बम लहरी के गानों से वातावरण भक्तिमय हो गया। शिव भक्तों के हरिद्वार तथा गोमुख से कांवड़ लेकर पहुंचने तथा शिवरात्रि के लिए मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां सोमवार रात से ही शुरू हो गई थीं। शिव भक्तों के आगमन को लेकर जगह-जगह लंगर, भंडारों तथा जलपान की व्यवस्था की गई। झूला कांवड़, खड़ी कांवड़ आने का सिलसिला दिन भर जारी रहा। डाक कांवड़ के निकलने के कारण शहर के मुख्य मार्गों पर जाम जैसी स्थिति बनी रही। वहीं कांवड़ियों के निकलने वाले रास्तों पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही।

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पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि सावन के महीने में शिवभक्त कांवड़ लेकर आते हैं और भगवान शिव के पवित्र धामों पर जलाभिषेक करते हैं। इस दिन शिवभक्त उपवास भी रखते हैं। ऐसे में भगवान शिव का रुद्राभिषेक प्रदोष काल में करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह नौ बजकर 10 मिनट से दोपहर दो बजे तक है। इस दौरान, शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना चाहिए। भगवान शिव बेलपत्र और बेर चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

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इन बातों का रखें ध्यान

--पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि घर या मंदिर में कहीं भी शिव की पूजा की जा सकती है। शिव के साथ माता पार्वती और नंदी भगवान को भी पंचामृत जल अर्पित करें।

--शिवलिग पर जल चढ़ाते समय काले कपड़े न पहनें।

--शिवलिग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। शास्त्रों में इसे वर्जित माना गया है।

--शिवलिग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस जगह से चढ़ा हुआ जल बाहर की तरफ आए, उसे लांघें नहीं।

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