Move to Jagran APP

गांव बड़ौदा में हुआ तप सम्राट हरिमुनि महाराज का अंतिम संस्कार

बड़ौदा गांव में तप सम्राट हरिमुनि के अंतिम दर्शन करने के लिए पंजाब राजस्थान दिल्ली चंडीगढ़ यूपी हिमाचाल के साथ-साथ प्रदेश के कौने-कौने से श्रद्धालु पहुंचे। जैन स्थानक में उनके शव को रखा गया जहां पर विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं के साथ-साथ ग्रामीणों ने अंतिम दर्शन किए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 10:34 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 06:37 AM (IST)
गांव बड़ौदा में हुआ तप सम्राट हरिमुनि महाराज का अंतिम संस्कार

संवाद सूत्र, उचाना : बड़ौदा गांव में तप सम्राट हरिमुनि के अंतिम दर्शन करने के लिए पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, यूपी, हिमाचाल के साथ-साथ प्रदेश के कौने-कौने से श्रद्धालु पहुंचे। जैन स्थानक में उनके शव को रखा गया जहां पर विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं के साथ-साथ ग्रामीणों ने अंतिम दर्शन किए। शाम को उनकी अंतिम यात्रा बैंडबाजे के साथ निकाली गई जो गांव की हर गली से होते हुए रजवाहा पार मुनि मायाराम के नाम से बनी अस्पताल की बिल्डिंग के प्रांगण में जाकर सम्पन्न हुई। यहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। आचार्य सुभद्र मुनि महाराज ने कहा कि हरिमुनि महाराज का जीवन तप-त्याग, सेवा-विनय, साधना, जप-तप का प्रतीक है। जीवन में सुख-शांति का मार्ग है। उनका जीवन सहज, सरल था। वे क्रोध, अहंकार, छल-कपट से दूर थे। इस मौके पर अमित मुनि, पदम मुनि, लालचंद मुनि, सुमेर मुनि, सुमित मुनि, श्रेयांस मुनि, वसंत मुनि, रिवभ मुनि, सौरभ मुनि, अरिहंत मुनि के साथ-साथ संत, साध्वियों, पंजाब मंगल प्रदेशध्यक्ष सुभाष जैन, ऑल इंडिया जैन कांफ्रेस, अखिल भारतीय मुनि मायाराम संघ के प्रतिनिधियों ने संवेदना व्यक्त की।

loksabha election banner

----------

अंतिम संस्कार वाली जगह बनेगा स्मारक

अस्पताल प्रांगण में जहां हरिमुनि का अंतिम संस्कार हुआ वहां पर ही उनके नाम का स्मारक बनेगा। आज से 24 साल पहले हरिमुनि ने दीक्षा ग्रहण की थी। 23 साल की दीक्षा में उनके द्वारा किए गए तप, साधना से उनको तप सम्राट की उपाधि दी गई। सुबह से ही विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु बड़ौदा गांव पहुंचने लगे थे। 80 साल के हरिमुनि हाल में पंजाब के नवां शहर में रमेश मुनि महाराज के साथ पथ यात्रा धर्म विचरण कर जन-जन में सेवा, प्रेम, सौहार्द, सछ्वावना का संदेश दे रहे थे। हरिमुनि ने गुरुदेव योगीराज, गुरु रामजी लाल, गुरु रामकृष्ण महाराज से बचपन में लगभग 65 वर्ष पूर्व धर्म संस्कार प्राप्त किए थे। 1995 में जैन तीर्थ संन्यास अमींनगर सराय मेरठ में स्वीकार कर तप-त्याग, सेवा, विनय, साधना, जप-पाठ समाज उत्थान प्रेरणा के साथ-साथ जीवन में आठ, पंद्रह, तीस, पच्चास, 53 दिन दिवसीय तप साधना अनेक बार की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.