साहब, हमें भी भिजवा दो ना, यहां रहना हो रहा मुश्किल
साहब हमें भी घर भिजवा दो ना। यहां पर रहना मुश्किल हो रहा है क्योंकि न तो यहां पर खाना समय पर मिल रहा है और न ही राशन उपलब्ध हो पाता है। कई बार तो एक वक्त का ही खाना खाकर उन्हें गुजारा करना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, जींद : साहब, हमें भी घर भिजवा दो ना। यहां पर रहना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि न तो यहां पर खाना समय पर मिल रहा है और न ही राशन उपलब्ध हो पाता है। कई बार तो एक वक्त का ही खाना खाकर उन्हें गुजारा करना पड़ रहा है। यह कहना है जींद में रह रहे उन श्रमिकों का, जो लॉकडाउन होने की वजह से अपने घर वापस नहीं जा पाए। जिला प्रशासन द्वारा जब से शेल्टर होम में रह रहे प्रवासियों को उनके घर भेजना शुरू किया है तो अपने घर जाने की आस में यह मजदूर भी प्रशासन से गुहार लाग रहे हैं कि उन्हें किसी भी सूरत में उनके घर तक पहुंचाने का प्रबंध करवा दिया जाए।
बता दें कि ऐतिहासिक जयंती देवी मंदिर में पार्क निर्माण को लेकर श्रमिक परिवारों ने यहां डेरा डाला हुआ है। बच्चों को मिला कर कुल 30 लोग यहां रह रहे हैं। लॉकडाउन होने के बाद से लेकर कुछ समय तक तो उन्हें राशन उपलब्ध हुआ। अब ये परिवार घर जाने को तरस रहे हैं। उत्तर प्रदेश निवासी प्रेम बाबू, ईश्वरी, लीला, रामा ने बताया कि पार्क का निर्माण कार्य बंद हो चुका है। ऐसे में अब कोई काम नहीं है और वो अपने घरों को वापस जाना चाहते हैं। पहले तो उन्हें 1950 पर कॉल करने से राशन मिल गया लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। जयंती देवी मंदिर में ही अन्न क्षेत्र भी है। यहां प्रतिदिन खाना भी बनाया जाता है पर उन्हें ही नहीं दिया जाता है। ऐसे में अब यहां रहना मुश्किल हो रहा । इसलिए उन्हें घर ही भेज दिया जाए, ताकि भूखा मरने की नौबत न आए। अन्न क्षेत्र प्रधान सुरेश गर्ग का कहना है कि खाना दिया जाता है पर ये मजदूर बेवजह शिकायत करते हैं। ये मजदूर यहां खाना भी खा रहे हैं और शिकायतें भी कर रहे हैं तो दिल दुखता है।