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युवा खून से लिखेंगे पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी

26 फरवरी को खटकड़ टोल पर किसानों के धरने पर युवा दिवस मनाया जाएगा। इस दिन युवा मंच संचालक युवा करेंगे। वक्ता भी धरने पर युवा ही होंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 07:00 AM (IST)
युवा खून से लिखेंगे पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी
युवा खून से लिखेंगे पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी

संवाद सूत्र, उचाना : नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खून से चिट्ठी लिखने का निर्णय लिया है। 26 फरवरी को खटकड़ टोल पर किसानों के धरने पर युवा दिवस मनाया जाएगा। इस दिन युवा मंच संचालक युवा करेंगे। वक्ता भी धरने पर युवा ही होंगे। भाकियू जिलाध्यक्ष आजाद पालवां, खेड़ा खाप प्रधान सतबीर पहलवान, बिजेंद्र सिधु ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 26 फरवरी को युवा दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन युवा खून से पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्टी लिख कर जो तीन कृषि कानून केंद्र सरकार लेकर आई है उसको रद करने की मांग करेंगे। ये तीनों कानून किसानों के लिए काले कानून है। किसान कई महीनों से निरंतर संयम, अनुशासन से धरना दिल्ली बॉर्डर के अलावा प्रदेश में दे रहा है। इतना लंबा आंदोलन आज तक आजादी के बाद देश में कभी नहीं हुआ है। संयम, अनुशासन की हर कोई तारीफ कर रहा है। सरकार ने काफी कोशिश की आंदोलन टूट जाए लेकिन कोई भी कोशिश कामयाब नहीं हुई। पीले चावल देकर देंगे आंदोलन में शामिल होने का न्यौता

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किसान नेताओं ने कहा कि जो किसान अब तक आंदोलन से दूर है, सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के अलावा हर धर्म से जुड़े लोग जो खेती करते है उनको पीले चावल देकर आंदोलन में शामिल होने का न्यौता देंगे। किसान आंदोलन आज जन आंदोलन बन चुका है। किसान की कोई जाति, पार्टी नहीं होती है। जो खेती करता है वो किसान है। अधिक से अधिक आंदोलन से जोड़ने के लिए अब गांव-गांव जाकर टीमें बना कर जो लोग आंदोलन में नहीं आए है उनको पीले चावल देकर न्यौता दिया जाएगा। रोटेशन प्रणाली से धरने पर आएंगे, जाएंगे

किसान नेताओं ने कहा कि गेहूं का अप्रैल माह में सीजन को देखते किसानों ने आंदोलन में किसानों की भागीदारी कम न हो इसके लिए रणनीति तय की हुई है। अब रोटेशन प्रणाली के तहत किसान दिल्ली बॉर्डर, धरनों पर आएंगे, जाएंगे। एक सप्ताह जो किसान जाएंगे वो वहां पर रहेंगे। जब गांव से दूसरे किसान आएंगे तो वो वापस गांव जाएंगे। दिल्ली बॉर्डर धरनों पर भीड़ को कम नहीं होने दिया जाएगा। गांव में आपस में एक-दूसरे का सहयोग उन किसानों का किसान करेंगे जो धरने पर गए है।


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