जींद ने धोया दाग, 95 हजार डिफॉल्टरों ने भरे 37 करोड़ बकाया बिजली बिल
बिजली निगम के डिफॉल्टरों की सूची में प्रदेश में टॉप पर शुमार होने के दाग को जींद ने महज तीन महीने में धो दिया है। बिल सेटलमेंट स्कीम के तहत जिले के 95 हजार से ज्यादा उपभोक्ता बिल सेटलमेंट स्कीम के तहत अपने बकाया बिलों के 38 करोड़ रुपये जमा करा चुके हैं। इस स्कीम के तहत 726.17 करोड़ रुपये माफ हो चुके हैं। अभी स्कीम के तीन दिन और बचे हैं।
बिजेंद्र मलिक, जींद
बिजली निगम के डिफॉल्टरों की सूची में प्रदेश में टॉप पर शुमार होने के दाग को जींद ने महज तीन महीने में धो दिया है। बिल सेटलमेंट स्कीम के तहत जिले के 95 हजार से ज्यादा उपभोक्ता बिल सेटलमेंट स्कीम के तहत अपने बकाया बिलों के 38 करोड़ रुपये जमा करा चुके हैं। इस स्कीम के तहत 726.17 करोड़ रुपये माफ हो चुके हैं। अभी स्कीम के तीन दिन और बचे हैं। उसमें और उपभोक्ताओं के भी बकाया बिल जमा कराने की उम्मीद है।
जींद जिले में करीब पौने तीन लाख कनेक्शन उपभोक्ता हैं, जिनमें से करीब सवा लाख उपभोक्ता पिछले कई सालों से बिल नहीं भरते थे। उसे उन पर लगातार सरचार्ज जुड़ने से बकाया राशि 1500 करोड़ से भी ऊपर पहुंच चुकी थी। इनमें ज्यादातर उपभोक्ता ग्रामीण थे। इन सालों में निगम और सरकार की तरफ से कई बार योजनाएं चलाई गई, लेकिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं भरे। एक-एक उपभोक्ता पर 10-10 लाख से भी ज्यादा की देनदारी थी। ऐसे में चाह कर भी बिल जमा नहीं करा सकता था। ऐसे हजारों उपभोक्ताओं के निगम ने कनेक्शन काट दिए, जिसके बाद उन्होंने कुंडी सिस्टम से बिजली चोरी शुरू कर दी। अक्टूबर में बिजली निगम ने बिल सेटलमेंट स्कीम शुरू की। उसके तहत साल 2005 तक का बिल माफ कर उसके बाद से अब तक लोड के हिसाब से प्रतिमाह का बिल तय करके भराने की स्कीम शुरू की। निगम की ये स्कीम काम कर गई और अब तक 75 प्रतिशत के करीब डिफॉल्टरों ने बकाया बिल जमा करा दिए हैं। विभाग के एसई श्यामबीर सैनी कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि 90 प्रतिशत डिफाल्टर उपभोक्ता बकाया बिलों को क्लीयर कर देंगे।
बिल न भरने वालों पर सख्ती
प्रदेशभर में ये स्कीम पहले 31 दिसंबर तक लागू की गई थी। बाद में 31 जनवरी तक बढ़ा दी गई। जींद में जनवरी में उप चुनाव था, जिसके चलते रिस्पांस कम मिला। स्थानीय अधिकारियों के कहने पर निगम ने केवल जींद सर्कल के लिए 15 फरवरी तक ये स्कीम और बढ़ा दी। न्यूनतम राशि का बिल लिए जाने के बावजूद जो लोग इसमें रुचि नहीं ले रहे थे, उनके निगम ने कनेक्शन काटने शुरू कर दिए। उससे उपभोक्ताओं में हड़कंप मच गया और अब वे मीटर उतरने के डर से बिल भरने निगम कार्यालय पहुंच रहे हैं।
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महंगी बिल ले रहे शहरी उपभोक्ताओं को राहत की उम्मीद
निगम अधिकारियों के अनुसार पहले बिल केवल ज्यादातर शहरी उपभोक्ता ही भरते थे, जबकि बिजली उपयोग में ग्रामीण उपभोक्ता आगे थे। ग्रामीण की अंधाधुंध उपयोग की गई बिजली का भार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शहरी उपभोक्ताओं पर पड़ता है। निगम के घाटे में जाने से बिजली के रेट बढ़ते हैं, जो शहरी उपभोक्ताओं को ही चुकाना पड़ता है। निगम और सरकार की इस पहल से अब ग्रामीण उपभोक्ता भी रूटीन में बिल भरेंगे, तो इससे शहरी उपभोक्ताओं से भार कम होगा। बिजली चोरी रुकने व ग्रामीण उपभोक्ताओं के बिल भरने से बिजली के रेट कम हो सकते हैं।
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उम्मीद : लोगों को बिल भरने की पड़ेगी आदत
बिजली निगम ने इस स्कीम के तहत डिफाल्टर उपभोक्ताओं के 726.17 करोड़ की बड़ी राशि माफ कर दी है और मात्र 38 करोड़ रुपये ही जमा करवाए हैं। अब निगम को उम्मीद है कि जिन लोगों ने बिल क्लीयर कर दिए हैं, अब भविष्य में वे नियमित रूप से बिल भरना शुरू कर देंगे। ऐसा होता है, तो बिजली दरें सस्ती होने की संभावना है, जिसका फायदा भी उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।
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मौका चूके तो बाद में पूरी जमा करानी पड़ेगी राशि
बिल सेटलमेंट स्कीम 15 फरवरी तक है। जिन्होंने बिल नहीं भरे हैं, इस अवधि में भर दें। अब तो एक किलोवाट का 112 और दो किलोवाट का 268 रुपये प्रति माह के हिसाब से बिल भरवा रहे हैं। 15 फरवरी के बाद उपभोक्ता को बगैर माफी के पूरा बिल जमा कराना होगा। जो बिल नहीं भरेगा, उसका मीटर उतारा जा रहा है। मीटर उतरने के बाद बिजली चोरी करेंगे, तो उसकी निगम एफआइआर दर्ज कराएगी। 95 हजार से ज्यादा उपभोक्ता इसका फायदा उठा चुके हैं। बाकी बचे उपभोक्ता भी इस मौके को ना चूकें।
श्यामबीर सैनी, एसई, बिजली निगम