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इनेलो ने तीसरी बार कंडेला खाप में दी टिकट, हार-जीत का फैसला भी यहीं से होगा

इनेलो ने तीसरी बार कंडेला खाप में दी टिकट, हार-जीत का फैसला भी यहीं से होगा

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 07:16 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 07:16 AM (IST)
इनेलो ने तीसरी बार कंडेला खाप में दी टिकट, हार-जीत का फैसला भी यहीं से होगा
इनेलो ने तीसरी बार कंडेला खाप में दी टिकट, हार-जीत का फैसला भी यहीं से होगा

कर्मपाल गिल, जींद

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जींद उपचुनाव में कंडेला खाप पर सबकी नजरें टिक गई हैं। हलके के 36 गांवों में से सबसे ज्यादा 25 गांव कंडेला खाप के हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने इस खाप पर फोकस कर दिया है।

जींद विधानसभा के अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस, भाजपा व इनेलो में से अब तक सिर्फ इनेलो ने ही तीन बार कंडेला खाप के नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है। पहली बार 1977 में चौधरी देवीलाल ने मनोहरपुर के प्रताप ¨सह रेढू को टिकट दी थी। उसके बाद 1991 में चौ. ओमप्रकाश चौटाला ने कंडेला गांव के तत्कालीन सरपंच टेकराम कंडेला को टिकट दी थी। ये दोनों प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाए थे, लेकिन खाप के गांवों से इन दोनों नेताओं को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि ये दोनों जीत हासिल करने की स्थिति में थे, लेकिन गांवों के कई अन्य नेताओं के चुनाव लड़ने के कारण वोटों का बंटवारा हो गया। इस कारण उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

अब इनेलो ने तीसरी बार खाप के लोहचब गांव के उमेद ¨सह रेढू को टिकट दी है। रेढू गोत्र के हलके में 14 गांव हैं और करीब 15 हजार वोट हैं। पार्टी को उम्मीद है कि कंडेला खाप से उसके प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे। इसलिए इनेलो नेता अभय चौटाला, उनके दोनों पुत्र कर्ण व अर्जुन भी इन गांवों में इसी बात को भावनात्मक रूप से भुना रहे हैं कि उन्होंने खाप की पगड़ी को हमेशा ऊपर रखा है।

दो दिन पहले इन गांवों के दौरे पर अभय ने कहा कि जेजेपी व कांग्रेस ने बाहरी उम्मीदवार उतारे हैं। उन्होंने आपके बेटे को टिकट दिया है। इसलिए अपने बेटे को विधानसभा में भेजकर बाहरी नेताओं को सबक सिखाएं। वहीं, खाप के प्रधान टेकराम कंडेला बताते हैं कि खाप में 28 गांव हैं। इनमें से 25 गांव जींद हलके में आते हैं। इनमें सबसे बड़ा गांव कंडेला है, जिसमें करीब 4800 वोट हैं। कंडेला खाप में से माजरा खाप बनने के सवाल पर टेकराम कंडेला कहते हैं कि उनकी खाप में 7 तपे हैं। पहले भी इन सातों तपों की चिट्ठी फाड़ी जाती थी। अब भी इसी तरह चिट्ठी फाड़ते हैं और सभी गांवों से लोग आते हैं।


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