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जिप में सियासी खींचतान : चार माह से डेढ़ करोड़ के काम अटके, एक करोड़ की पेमेंट भी फंसी

जिला परिषद में चार माह से काम ठप हैं। विकास एवं पंचायत विभाग निदेशक ने जून में जिला परिषद द्वारा गांवों में कराए जा रहे कामों पर रोक लगाते हुए उनकी जांच के आदेश दिए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 06:51 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 06:51 AM (IST)
जिप में सियासी खींचतान : चार माह से डेढ़ करोड़ 
के काम अटके, एक करोड़ की पेमेंट भी फंसी
जिप में सियासी खींचतान : चार माह से डेढ़ करोड़ के काम अटके, एक करोड़ की पेमेंट भी फंसी

जागरण संवाददाता, जींद : जिला परिषद में चार माह से काम ठप हैं। विकास एवं पंचायत विभाग निदेशक ने जून में जिला परिषद द्वारा गांवों में कराए जा रहे कामों पर रोक लगाते हुए उनकी जांच के आदेश दिए थे। गांवों में जिला परिषद चौपाल का निर्माण, स्कूलों में खेल मैदान और चहारदीवारी का निर्माण, शमशान घाट की चहारदीवारी व अन्य विकास कार्य कराती है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये के विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। वहीं जो काम पूरे हो चुके थे, उनकी एक करोड़ रुपये की पेमेंट जारी नहीं हो सकी है। काम करने वाले ठेकेदार पेमेंट के लिए चक्कर काट रहे हैं। 24 अगस्त को हुई मीटिग में 5.38 करोड़ रुपये की ग्रांट बांटने का फैसला किया गया था। इस ग्रांट से सभी वार्डों में काम होने थे। प्रधान प्रवीन घणघस ने सभी पार्षदों से उनके वार्डों में कराए जाने वाले कामों की सूची मांगी थी। लेकिन जिला परिषद अधिकारियों ने मुख्यालय से विकास कार्यों पर लगी रोक हटाने को लेकर कोई आदेश नहीं मिलने का हवाला देकर काम शुरू करने से इंकार कर दिया। जिला परिषद के चुनाव अगले साल होने हैं, जिसके लिए कुछ ही माह का समय बाकी है। पार्षद सत्तू ढांडा, सतीश पहलवान, मोनू दनौदा का कहना है कि सरकार को जिला परिषद के कामों पर लगी रोक हटवानी चाहिए। ताकि गांवों में विकास कार्य कराए जा सकें।

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सियासी खींचतान में ही बीते साढ़े चार साल

साल 2016 में जिला परिषद के चुनाव हुए थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री की नजदीकी पदमा सिगला को प्रधान चुना गया था। लेकिन बाद में पदमा सिगला और उनके पति विनोद सिगला के बीरेंद्र सिंह से रिश्ते बिगड़ गए। पार्षदों के साथ भी खींचतान बढ़ गई और बार-बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए डीसी को शपथ पत्र सौंपते रहे। जिससे ग्रांट नहीं बांटी जा सकी। एक बार तो पदमा सिगला कुर्सी बचाने में कामयाब रही। लेकिन पिछले साल पदमा सिगला की कुर्सी चली गई। उसके बाद प्रवीन घणघस प्रधान बनी। लेकिन कुछ माह बाद उनके साथ भी पार्षदों की खींचतान बढ़ गई। पूर्व प्रधान पदमा सिगला और जेजेपी जिला प्रधान की शिकायत के बाद जिला परिषद के कामों पर जून में रोक लग गई।

प्रशासन द्वारा कराई जा चुकी है जांच : प्रधान

सरकार में बीजेपी और जेजेपी साझीदार हैं। लेकिन जिला परिषद में दोनों पार्टियों के समर्थित पार्षदों में खींचतान है। इसी खींचतान के चलते विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस मामले में बीजेपी समर्थित जिला परिषद प्रधान प्रवीन घणघस ने कुछ भी बोलने से इंकार करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन को फैसला लेना है। प्रशासन द्वारा जांच कराई जा चुकी है, जिसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं मिली।


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