जींद में तेज हवा के साथ बारिश से बढ़ी ठंड, न्यूनतम और अधिकतम तापमान गिरा
जिले में रविवार को अल सुबह से रुक-रुक कर बारिश होती रही। साथ ही करीब 23 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज गति से हवा चली।
जागरण संवाददाता, जींद : जिले में रविवार को अल सुबह से रुक-रुक कर बारिश होती रही। साथ ही करीब 23 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज गति से हवा चली। जिससे ठंड बढ़ गई और न्यूनतम व अधिकतम तापमान बराबर हो गया। दिन का अधिकतम तापमान 13 और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री दर्ज किया गया। जिसके चलते लोग घरों में ही दुबके रहे। बाहर सड़कों पर आवागमन बहुत कम रहा। मौसम विभाग ने 23 जनवरी को भी बारिश की संभावना जताई है। बारिश के कारण अनाज मंडियों पड़ी धान की फसल भीग गई। हालांकि बारिश से गेहूं की फसल में फायदा है। लेकिन तेज गति से चल रही हवा की वजह से सरसों की फसल में नुकसान की आशंका है। सरसों की अगेती फसल में फलियां आ चुकी है और दाना बनने की प्रक्रिया चल रही है। फलियों के बोझ के कारण बारिश के साथ तेज गति से चल रही हवा से सरसों की फसल झुक गई है। जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
कहां कितनी बारिश
जींद : 8 एमएम
नरवाना : 12 एमएम
सफीदों : 10 एमएम
जुलाना : 7 एमएम
उचाना : 2 एमएम
पिल्लूखेड़ा : 9 एमएम
अलेवा : 8 एमएम गिरेगा तापमान, बढ़ेगी ठंड
कृषि विज्ञान केंद्र पिडारा से मौसम विशेषज्ञ डा. राजेश कुमार ने बताया कि बारिश के बाद आगामी दिनों में अधिकतम तापमान 16 से 18 डिग्री रह सकता है। लेकिन न्यूनतम तापमान गिरकर चार से पांच डिग्री तक पहुंच सकता है। जिससे ठंड बढ़ेगी। दिसंबर की तुलना में जनवरी में ज्यादा ठंड पड़ रही है। पहले चार से आठ जनवरी तक बारिश हुई। उसके बाद बादलवाई रहने के कारण धूप भी बहुत कम निकली। जिससे अधिकतम तापमान 15 डिग्री से नीचे आ गया और रातों के साथ दिन भी ठंडे रहे।
मंडियों में पड़ा है हजारों क्विंटल धान
इस सीजन में नवंबर में बासमती 1121 व अन्य किस्मों के धान के भाव किसानों को अच्छे मिले। बासमती 1121 के भाव चार हजार के पार पहुंच गए थे। किसानों को भाव में और बढ़ोतरी की उम्मीद थी। दिसंबर में भाव गिरने लगे और एक समय साढ़े तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गए। अब वे किसान मंडी में फसल लेकर आ रहे हैं। वहीं आढ़तियों ने भी किसानों से खरीद के बाद धान को मंडी में रखा हुआ है और भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।
जनजीवन हुआ प्रभावित
शनिवार को दिनभर बारिश चलती रही। जिसके चलते लोगों की दिनचर्या प्रभावित रही। सड़कें टूटी तथा कच्ची होने के कारण बारिश के कारण कीचड़ भी हो गया। जिसके चलते कुछ स्थानों पर आवागमन भी प्रभावित हुआ। बारिश तथा तेज हवा के कारण लोग कम ही घरों से बाहर निकले। जो कार्यवश बाहर निकले, वे भी जल्दी से अपने कामकाज निपटा कर घर वापस आ गए।