बुढ़ापा अनुभवों का वह पीटारा है जो बहुत चोट खाने के बाद ही मिलता : अचल मुनि
एसएस जैन सभा के तत्वावधान में जैन स्थानक में बुजुर्ग दिवस मनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग शामिल हुए।
संवाद सूत्र, उचाना : एसएस जैन सभा के तत्वावधान में जैन स्थानक में बुजुर्ग दिवस मनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग शामिल हुए।
गुरु अचल ने कहा कि जो धैर्य, सत्य और वैराग्य स्थिर कर सकें, उसे वृद्ध कहते हैं। उन्होंने बताया कि एक वृद्ध भगवान के चरणों में गया। उसने कहा कि क्या मेरा भी कल्याण हो सकता? भगवान ने कहा, हां, पर चार चीजें हों। खाने में तप हो, संयम हो, बोलने में तप हो, विवेक हो, सहनशीलता और क्षमा भाव हो, ब्रह्मचार्य भाव हो। वृद्ध कौन होता है, जो भूतकाल में जीता है। हम ये थे, हम वो थे, वो वृद्ध होते हैं। बुढ़ापे में हममें रस आना चाहिए। जीवन में मिठास हो, कड़वाहट न हो। अफसोस जैसे-जैसे अवस्था बढ़ रही है। मानसिक और शारीरिक दुख भी बढ़ रहा है। जैन संत ने कहा कि बुढ़ापा अनुभव का वह पिटारा है, जो बहुत चोट खाने के बाद मिलता है। जो जवानी में अंधे होकर दौड़ते रहे, उनका बुढ़ापा बूढे़ बैल की तरह पीड़ाओं से भरा होता है। हमारे बुजुर्गो को भी कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए। शीतल मुनि, अतिशत मुनि ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया।