सरकारें आई और गई लेकिन खांडा गांव में पर्याप्त नहरी पानी नहीं आया
पिछले दो दशक में कई सरकारें सत्ता में आई और गई लेकिन अलेवा ब्लॉक के खांडा गांव तक पर्याप्त नहरी पानी आज तक नहीं पहुंच पाया।
जागरण संवाददाता, जींद : पिछले दो दशक में कई सरकारें सत्ता में आई और गई लेकिन अलेवा ब्लॉक के खांडा गांव तक पर्याप्त नहरी पानी आज तक नहीं पहुंच पाया। नहरी पानी के अभाव में फसलों की पैदावार घट रही है तो सबमर्सिबल पंपों द्वारा पानी के दोहन से हर साल भूमिगत जल स्तर घटता जा रहा है। अब गांव के लोगों की एक ही मांग है कि उनके गांव में नहरी पानी पर्याप्त मात्रा में पहुंच जाए।
जींद-असंध मार्ग पर स्थित अलेवा से ढाई किलोमीटर लिग मार्ग पर स्थित खांडा गांव में लगभग 2400 मतदाता हैं। गांव की साक्षरता दर 75.24 है। उचाना की पूर्व विधायक प्रेमलता ने खांडा गांव को गोद लिया था। सांसद बृजेंद्र सिंह द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि खांडा गांव के विकास पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ग्रामीण इस बात से सहमत नहीं हैं। एक और विशेष बात यह भी है कि सरपंच द्वारा तो गांव के विकास को लेकर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सरकारी विभागों का सहयोग ग्राम पंचायत को नहीं मिल पा रहा। निशानदेही तक के लिए 6-6 महीने विभागों द्वारा निकाल दिए जाते हैं। ग्राम पंचायत को बिजली विभाग, सिचाई विभाग, जन स्वास्थ्य विभाग समेत दूसरे सरकारी विभागों से समय पर अपेक्षित सहायता नहीं मिल पाती।
यह है गांव का इतिहास
खांडा गांव का इतिहास रामायण काल से जुड़ा माना जा रहा है। भगवान परशुराम कहीं से युद्ध लड़कर वापस आ रहे थे तो उन्होंने अपने शस्त्र परसा (खंडा) को वहां रखा था, इसी से बाद में गांव का नाम खांडा पड़ा। गांव में भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बना है। परशुराम की माता जिस सोने के मटके में पानी भरती थी, उस मटके को चोरी का प्रयास किया गया था तो वह सोने से मिट्टी में बदल गया था। यह मटका आज भी मंदिर में रखा है। गांव को कभी खंडेरा शहर के नाम से भी जाना जाता था। गांव काफी ऊंचाई पर बसा है और आज भी जब किसी मकान के निर्माण की नींव डाली जाती है तो नीचे से मलबा निकलता है।
गांव की सबसे बड़ी समस्या नहरी पानी की कमी
गांव की सबसे बड़ी समस्या इस समय यही है कि गांव में नहरी पानी पर्याप्त नहीं मिल पा रहा। ग्रामीण पिछले 15 सालों से प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह गांव के नहर या रजबाहा निकल जाए लेकिन इस प्रयास में अभी तक ग्रामीणों को सफलता नहीं मिल पाई है। अरड़ाना की तरफ से एकमात्र रजबाहा आ रहा है, जो आगे गोइयां की तरफ जाता है लेकिन इसमें पानी ही कभी-कभार आता है। मुआना की तरफ से आने वाला रजबाहा खांडा से होते हुए आगे तक जाना था लेकिन इसका भी खांडा गांव की सीमा पर आकर निर्माण कार्य रूक गया।
पर्याप्त मात्रा में मिले नहरी पानी
अरड़ाना की तरफ से आने वाले रजबाहे का निर्माण कार्य पूरा किया जाए, जो अधूरा पड़ा है। गांव में नहरी पानी की सबसे गंभीर समस्या है। नहरी पानी के अभाव में फसलों के पैदावार में कमी आ रही है। भूमिगत जल स्तर 100 फुट से भी नीचे जा चुका है, जो हर साल गर्त में जा रहा है।
--सुरेश शर्मा, ग्रामीण।
वर्जन
अरड़ाना की तरफ से आने वाले रजबाहे के निर्माण कार्य को पूरा करने को लेकर ग्राम पंचायत द्वारा लिखा जा चुका है। एससी द्वारा एस्टीमेट भी भेजा जा चुका है। फिलहाल बजट नहीं है। जैसे ही बजट आएगा, निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
--रसना देवी, सरपंच, गांव खांडा।