ग्रामीण क्षेत्रों में बसें न चलने से छात्राएं परेशान, विधायक को सौंपा ज्ञापन
उपमंडल के कई गांवों में सरकारी बसें चार माह से नहीं पहुंच रही हैं। उससे छात्राओं और महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। बस चलाने के लिए डिडवाड़ा, बड़ौत और भुसलाना गांवों की स्नातक की छात्राओं ने सोमवार को विधायक जसबीर देशवाल को ज्ञापन सौंपा।
संवाद सूत्र, सफीदों : उपमंडल के कई गांवों में सरकारी बसें चार माह से नहीं पहुंच रही हैं। उससे छात्राओं और महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। बस चलाने के लिए डिडवाड़ा, बड़ौत और भुसलाना गांवों की स्नातक की छात्राओं ने सोमवार को विधायक जसबीर देशवाल को ज्ञापन सौंपा। छात्राओं ने बताया कि नवंबर से उनके गांवों में सरकारी बस नहीं गई। इसकी शिकायत एसडीएम कार्यालय और बस स्टैंड सफीदों में दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्राओं ने बताया कि बस बंद होने से प्रतिदिन 20 रुपये ऑटो रिक्शा के लिए देना पड़ता है, जबकि सरकारी बस में निश्शुल्क सेवा मिलती थी। ऑटों भी पूरी सवारी भरने का इंतजार करते हैं। उससे छात्राएं रोज देरी से कॉलेज पहुंचती हैं और उनके शुरुआती लेक्चर छूट जाते हैं।
छात्राओं ने बसें शुरू कराने के लिए विधायक जसबीर देशवाल के पास पहुंचीं, लेकिन अनुपस्थिति में उनके भाई राजबीर देशवाल को अपना आवेदन दिया। उन्होंने बताया कि मनोहर लाल की सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मिशन पर काम कर रही है। बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए सरकार गंभीर है। बेटियों की शिक्षा में आने वाली इस रुकावट को भी जल्द समाप्त कर दिया जाएगा।
डिडवाड़ा गांव की छात्रा निशा ने बताया कि सरकारी बस बंद होने से रोज कॉलेज में देर से पहुंचती है। ऊपर से ऑटो के 20 रुपये देने पड़ते हैं। ऑटो वाले भेड़-बकरियों की तरह सवारियां भी बैठाते हैं। बीए फाइनल ईयर की छात्रा मंजू ने बताया कि ऑटो का किराया देने में असमर्थ छात्राएं रोज कॉलेज नहीं जाती हैं। उसका असर उनके परीक्षा परिणाम पर पड़ेगा। कॉलेज में छह गैरहाजिरी के बाद नाम काट दिया जाता है। गांवों में सरकारी बसे न आने कई छात्राओं पर नाम कटने की तलवार लटक रही है।