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बैंक खातों में पड़ी राशि ठगों के निशाने पर, आम से लेकर खास तक को बना रहे निशाना

डेबिट कार्ड धारक पे एप का प्रयोग करने वाले लोग धोखाधड़ी का खूब शिकार हुए। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल हर रोज कोई न कोई बैंक उपभोक्ता इन ठगों का शिकार हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 09:30 AM (IST)
बैंक खातों में पड़ी राशि ठगों के निशाने पर, आम से लेकर खास तक को बना रहे निशाना
बैंक खातों में पड़ी राशि ठगों के निशाने पर, आम से लेकर खास तक को बना रहे निशाना

जागरण संवाददाता, जींद : डेबिट कार्ड धारक, पे एप का प्रयोग करने वाले लोग धोखाधड़ी का खूब शिकार हुए। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल हर रोज कोई न कोई बैंक उपभोक्ता इन ठगों का शिकार हुआ। शुरुआत डेबिट कार्ड बदलने से हुई फिर बैंक अधिकारी बनकर लोगों को चूना लगाया गया। फिर क्लोन तैयार करने का तरीका इजाद हुआ। फेसबुक हैक कर आर्थिक सहायता के नाम पर भी लोगों से धोखाधड़ी हुई।

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वर्ष 2019 में धोखाधड़ी के लगभग 347 मामले सामने आए जिसमें करोड़ों रुपये का चूना लोगों को लगा। पुलिस को सफलता मात्र आधा दर्जन मामलों में ही लगी, अन्य मामले अनट्रेस ही रहे। लोगों की खून पसीने की हड़पी गई राशि न तो खातों में वापस आई और न ही उन लोगों का कोई सुराग लग पाया, जिन्होंने लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। इस वर्ष अकेले जनवरी में बैंक उपभोक्ताओं से ठगी की 12 वारदात सामने आ चुकी हैं। इसमें खास बात यह है कि गिरोह के सदस्यों ने सफीदों के एसडीएम मंदीप कुमार तक के साथ धोखाधड़ी कर दी। जहां पर एसडीएम के डेबिट कार्ड का क्लोन तैयार करके खाते से 37 हजार रुपये निकाल लिए। पहले सहायता के नाम पर कार्ड बदलते थे, फिर हुए हाइटैक

वर्ष 2019 में मार्च माह तक मामले सहायता के नाम पर डेबिट कार्ड बदलकर धोखाधड़ी करने के सामने आते रहे। बाद में धोखाधड़ी का तरीका हाईटैक हो गया। डी कार्डर मशीन से एटीएम का डाटा चुरा क्लोन तैयार कर एटीएम के माध्यम से राशि निकलवाने का सिलसिला शुरु हो गया। जिसके साथ-साथ बैंक अधिकारी बनकर लोगों के एटीएम से संबंधित जानकारी जुटाकर उनके खातों से राशि साफ होती रही। नए प्रचलन में फेसबुक हैक कर मैसेंजर से जानकार से आर्थिक सहायता खाते में डलवाने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां तक की पे एप के माध्यम से भी धोखाधड़ी की गई। ज्यादातर मामले एटीएम के साथ ऑनलाइन ठगी के हैं। दूसरे राज्यों के लोग देते हैं ऑनलाइन ठगी को अंजाम

बैंक उपभोक्ताओं को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाने वाले अधिकतर लोग दूसरे राज्यों के होते हैं। जिस खाते में वह फर्जीवाड़ा करके पैसे ट्रांसफर करते हैं, वह खाते भी फर्जी होते हैं। जब तक पुलिस की जांच खाता धारक तक पहुंचती है, वहां कुछ नहीं मिलता। इसी प्रकार जिस मोबाइल से फोन किए जाते हैं, वह भी फर्जी आईडी पर निकलवाए होते हैं। इसलिए इस प्रकार के मामले ट्रेस करना पुलिस के लिए सिरदर्द बने रहते हैं। हर रोज होती रही धोखाधड़ी

गांव हाट निवासी ओमप्रकाश के खाते से गत 5 अगस्त को 4.40 लाख रुपये गायब हो गए। इसी तरह पानीपत की राम कॉलोनी निवासी जितेंद्र के खाते से 3.90 लाख, गांव बिरौली निवासी मोहन के खाते से 1.62 लाख, अजमेर बस्ती निवासी कृष्ण के खाते से तीन लाख, गांव धमतान साहिब निवासी अनिल के खाते से 12 दिसंबर को 1.88 लाख रुपये निकाल लिए गए। इस प्रकार 300 से ज्यादा ऐसे उपभोक्ता हैं जिनके खातों से 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की राशि निकाली गई। ये सुलझी गुत्थी

जींद, अलेवा तथा सफीदों पुलिस ने दो-दो गुत्थियां सुलझाई हैं। इनमें मुख्य रूप से सफीदों थाना पुलिस ने हाट गांव निवासी ओम प्रकाश की ठगे गए 4.40 लाख के मामले में दो युवकों को गिरफ्तार भी किया। विधायक भी उठा चुके हैं मामला

जिले में बढ़ रही ठगी की वारदातों को देखते हुए विधायक डॉ. कृष्ण मिढ़ा भी एसएसपी अश्विन शैण्वी व गृहमंत्री अनिल विज के समक्ष मामला उठा चुके हैं। गृहमंत्री ने इसके लिए रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद एसएसपी अश्विन शैणवी ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर निपटाने के आदेश दिए हुए हैं, लेकिन अब तक गिरोह का एक भी सदस्य गिरफ्तार नहीं हो रहा।


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