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कृषि कानूनों के विरोध में उझाना के किसान रामभज ने शुरू किया तप

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर गांव उझाना के किसान रामभज ने तप शुरू कर दिया है। रामभज तपती दोपहर में सात धुनों के बीच केवल एक लंगोट में ही बैठा रहता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 07:23 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 07:23 AM (IST)
कृषि कानूनों के विरोध में उझाना के किसान रामभज ने शुरू किया तप
कृषि कानूनों के विरोध में उझाना के किसान रामभज ने शुरू किया तप

संवाद सूत्र, नरवाना : कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर गांव उझाना के किसान रामभज ने तप शुरू कर दिया है। किसान रामभज तपती दोपहर में 12 बजे बजे से तीन बजे तक सात धुनों के बीच केवल एक लंगोट में ही बैठा रहता है। इस दौरान न वह खाना खाता है और न कोई पेय पदार्थ लेता है। रामभज के परिवार में पांच बेटियां हैं, जिनमें से दो विवाहित हैं। उनकी एक बेटी पैदल चाल में अच्छी-खासी ख्याति प्राप्त खिलाड़ी है। रामभज द्वारा शुरू किए गए तप का दूसरे किसानों का भी समर्थन मिल रहा है। गांव की महिलाएं उपले जलाकर इनके लिए दोपहर 12 बजे से पहले उपले जलाकर सात धुने तैयार करती हैं और इनकी तपस्या के दौरान धार्मिक भजनों से किसान रामभज का मनोबल बढ़ाती हैं। गांवों वालों का कहना है कि किसान रामभज जब तक तपती दोपहर में सात धुनो के बीच तपेगा, जब तक कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती। रामभज ने कहा कि अगर यह कानून वापस नहीं लिए तो किसान बर्बाद हो जाएगा। किसान पिछले छह माह से लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले रही है। सरकार के इस रवैये को देखते हुए उसने सात धुनों के बीच में तप शुरू किया है।

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बद्दोवाल धरने में किसानों के मसीहा चौ चरणसिंह को किया याद

संवाद सूत्र, नरवाना : बद्दोवाल टोल प्लाजा पर चल रहे धरने के 156वें दिन शनिवार को चौ चरणसिंह की पुण्यतिथि मनाई गई। किसान नेता मा. बलबीर ने कहा कि उन्होंने अपनी सारी जिदगी किसान हित के काम करने में बिताई। जिसके कारण आज भी किसान उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। धरने पर काफी संख्या में महिलाएं भी पहुंची, जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से मोदी सरकार को कोसा। अध्यक्षता सत्यवान धर्मगढ़ ने की, तो मंच संचालन डा. रामचंद्र का रहा। क्रमिक भूख हड़ताल पर धर्मगढ़ से गुड्डी, अंशु व अनु, दनौदा से बरफी तथा फरैण से नीलम बैठी।

गायक कलाकार जयपाल दनौदा ने अपने गीत के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी। नाथाराम, चांद बहादुर, शीशपाल चहल ने भी अपने विचार रखे और आंदोलन में शांति बनाए रखने की अपील की, क्योंकि इतने लंबे आंदोलन से सरकार की नींद हराम हो गई है और वह किसी ना किसी तरीके से आंदोलन को तोड़ना चाहती है। लेकिन आंदोलन में हमारा संयम सरकार के इस मनसूबे को किसी भी हालात में पूरा नहीं होने देगा।


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