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युवा वैज्ञानिकों के मॉडल देखकर हर कोई रह गया हैरान

राजकीय महाविद्यालय में राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदेशभर के 45 कालेजों के विद्यार्थियों ने 67 मॉडल प्रस्तुत किए। इन युवा वैज्ञानिकों ने कई नए मॉडल प्रस्तुत किए जिन्हें देखने के लिए युवाओं की भीड़ लगी रही।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 08:03 AM (IST)
युवा वैज्ञानिकों के मॉडल देखकर हर कोई रह गया हैरान
युवा वैज्ञानिकों के मॉडल देखकर हर कोई रह गया हैरान

जागरण संवाददाता, जींद

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राजकीय महाविद्यालय में राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदेशभर के 45 कालेजों के विद्यार्थियों ने 67 मॉडल प्रस्तुत किए। इन युवा वैज्ञानिकों ने कई नए मॉडल प्रस्तुत किए, जिन्हें देखने के लिए युवाओं की भीड़ लगी रही। खासकर मनोविज्ञान, भूगोल व जूलोजी के विद्यार्थियों ने सामाजिक समस्याओं पर अपने मॉडल पेश किए। इनमें प्रदूषित जल को साफ करके कैसे उपयोग में लाएं, पॉलीथिन की बजाय बायोप्लास्टिक प्रयोग में लाएं, मोबाइल किस तरह इंसान के लिए घातक बन रहा है, बड़े शहरों में प्रदूषण से कैसे बचें, जैसे विषयों पर मॉडल पेश किए।

युवा वैज्ञानिकों के इन मॉडलों की युवाओं व अतिथियों ने प्रशंसा की। मेजबान राजकीय कालेज प्राचार्या शीला दहिया ने बताया कि काफी मॉडल तो हैरान करने वाले थे। इन्हें उत्पादन के रूप में व्यावहारिक रूप में लाया जाए तो लोगों के लाभप्रद रहेंगे। प्रतियोगिता में प्राणी शास्त्र (जूलोजी), वनस्पति शास्त्र (बोटनी), रसायन, भौतिकी, मनोविज्ञान, भूगोल व कम्प्यूटर साईंस विषयों के इंटरजोन प्रतियोगिताओं में प्रथम रहने वाले प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वेस्ट पानी को जलकुंभी से करें साफ

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जूलोजी में छछरौली (यमुनानगर) के गवर्नमेंट कॉलेज का मॉडल प्रथम स्थान पर रहा था। प्राध्यापिका सुजाता शर्मा के निर्देशन में छात्रा कनिका व नेहा धीमान ने सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट बाइ शिफरोल एक्वाकल्चर और टर्मिग्रेडेशन नामक मॉडल के जरिए गंदे पानी को साफ करके मछली पालन व खेतों में प्रयोग करने और गत्ते व कागज को दीमक से डिग्रेड करने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। जलकुंभी से पानी के दूषित व रसायनयुक्त जल को साफ करने पर पांडिचेरी में पेटेंट हो चुका है। छात्रा कनिका व नेहा धीमान ने इसे रिमोड्यूलेट किया था। साथ ही, कागज, गत्ते को दीमक के जरिए डिग्रेड किया जा सकता है। स्मार्टफोन से प्रजनन क्षमता हो रही कम

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मनोविज्ञान में कुरुक्षेत्र के दयानंद महिला महाविद्यालय की छात्राओं कोमल व पुष्पा का प्रोजेक्ट पहले स्थान पर रहा। प्राध्यापिका डॉ. उर्मिला पंघाल के निर्देशन में छात्राओं ने नोमोफोबिया यानि मोबाइल न होने पर इंसान का व्यवहार, मोबाइल के दुष्प्रभाव व इसकी लत से कैसे बचें नामक मॉडल में बताया गया था कि स्मार्टफोन से युवक-युवतियों में बच्चे पैदा करने की क्षमता कम हो रही है। लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं व बीपी बढ़ रहा है। इससे इंसानों का डीएनए भी बदल रहा है। इस मॉडल में दिखाया कि 56 फीसदी लोग सोने से पहले मोबाइल चेक करते थे। 75 फीसदी सोने के लिए बिस्तर पर जाने के बावजूद उठकर फोन चेक करते हैं। 61 फीसदी लोग तकिये के नीचे फोन रखकर सोते हैं। 12 फीसदी बाथरूम में भी फोन साथ ले जाते हैं। 50 फीसदी लोग नशे की तरह स्मार्टफोन के आदी हो चुके हैं। इसकी लत छुड़ाने के लिए माता-पिता बच्चों को बाहर घुमाने लेकर जाएं और उन्हें रियल लाइफ से रूबरू कराएं। 25 किलोमीटर पैडल घुमाएं, 40 किलोमीटर खुद चलेगी साइकिल

अंबाला के राघव और दीप्ति ने ऐसी साइकिल बनाई है, जो बैटरी से चलेगी। इसमें पैडल मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राघव के अनुसार उसने नॉर्मल साइकिल की चेन के पास मोटर फिट की है। चेन के घूमते ही मोटर भी घूमती है और इलेक्ट्रिसिटी बनती है, जो बैटरी में स्टोर होने के बाद वापस चेन की तरफ जाती है और पहिए को घुमाती है। अगर पैडल घुमाकर 25 किलोमीटर का सफर तय कर लिया तो 40 किलोमीटर का सफर यह बिना पैडल के ही तय कर लेगी। साधारण साइकिल पर आने वाले खर्च से 1500 रुपये अतिरिक्त लगाकर ही इसे बनाया जा सकता है।


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