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नहरबंदी से जिले में पेयजल का संकट, 116 मिलियन की जरूरत, मिल रहा 60 मिलियन पानी

एक तरफ गर्मी का मौसम तो दूसरी तरफ नहरबंदी के चलते इन दिनों गांवों से लेकर जिले के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में भी पेयजल संकट गहरा गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 09:27 AM (IST)
नहरबंदी से जिले में पेयजल का संकट, 116 मिलियन की जरूरत, मिल रहा 60 मिलियन पानी
नहरबंदी से जिले में पेयजल का संकट, 116 मिलियन की जरूरत, मिल रहा 60 मिलियन पानी

जागरण संवाददाता, जींद : एक तरफ गर्मी का मौसम, तो दूसरी तरफ नहरबंदी के चलते इन दिनों गांवों से लेकर जिले के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में भी पेयजल संकट गहरा गया है। हालात ये है कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। गांवों में महिलाएं दिनभर जैसे-तैसे पानी की व्यवस्था कर रही है। जनस्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में प्रतिदिन करीब 116 मिलियन पानी की डिमांड है, लेकिन नहरी व नलकूप के पानी को मिलाकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन केवल 60 मिलियन पानी की सप्लाई हो रही है। डिमांड व आपूर्ति में काफी अंतर होने के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोग उपलब्ध पानी से ही काम चला रहे थे, लेकिन तीन सप्ताह से जिले में निकलने में वाली अधिकतर नहर बंद हैं। नहरी पेयजल सप्लाई के लिए बनाए गए करीब 121 जलघरों में से 50 में पानी का टैंक खाली हो चुके हैं, जबकि बाकि बचे हुए जलघरों में एक या दो दिन का ही पानी बचा है। जिले में हांसी ब्रांच व सुंदर ब्रांच नहर व इनसे निकली दूसरी माइनरों से जलघरों के टैंकों को पानी से भरा जाता है, लेकिन दोनों ही नहर तीन सप्ताह से बंद हैं और ऊपर से तापमान बढ़ने से पेयजल की डिमांड बढ़ गई। जुलाना एरिया के गांव में तो पानी का गहरा संकट है, जबकि नरवाना एरिया में भाखड़ा नहर चलने के कारण लोगों को राहत मिली हुई है।

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121 जलघर व 300 नलकूप के सहारे पेयजल

जिले में जनस्वास्थ्य विभाग ने करीब 121 जल करीब 300 नलकूप लगाए हैं। जिले के 306 गांवों में से सिर्फ 40 गांव ही ऐसे हैं जहां का भू-जल पीने लायक है। यही हाल शहरों व कस्बों का है। सफीदों शहर को छोड़ दिया जाए बाकी कस्बों व जींद शहर में अब भू-जल पीने लायक नहीं रहा। इसमें आफताबगढ़, अंटा, बड़ौत, भूसलाना, साहनपुर, धर्मगढ़, डिडवाड़ा, जयपुर, पांजू कलां, पांजू खुर्द, सिघाना, सिंहपुरा, टीटोखेड़ी, टोडीखेड़ी, छपार, शिलाखेड़ी, सरफाबाद गांव शामिल हैं जहां भू-जल पीने लायक है। जींद ब्लॉक में ईंटल, रामराय, ईक्कस, राजपुरा भैण, गुलकणी, बीड़वाली ढाणी, रामगढ़, खोखरी, श्रीराग खेड़ा, कंडेला गांव शामिल हैं। अलेवा ब्लॉक में कटवाल, दुड़ाना व हसनपुर। नरवाना ब्लॉक में कालवन, भिखेवाला, रसीदां, पीपलथा, रेवर, नेपेवाला, गढ़ी, धनौरी, दातासिंहवाला, बरटा व हंसडैहर गांव में भू-जल काफी अच्छा नहीं है।

कम प्रेशर से परेशान शहर

शहर की सबसे पॉश कालोनी अर्बन एस्टेट व नए सेक्टरों में पानी का कम प्रेशर आने से पेयजल संकट से जूझना रहा है। हुडा की ओर से पहले ट्यूबवेलों के माध्यम से पानी दिया जाता था और अर्बन एस्टेट और पुरानी हाउसिग बोर्ड कालोनी में नौ ट्यूबवेलों से पानी सप्लाई दी जाती थी। लेकिन अब नहरी पानी देने के नाम पर केवल इंडस स्कूल के पास बने बूस्टिग स्टेशन से पानी दिया जा रहा है। बूस्टिग स्टेशन से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है, उन एरिया में पानी का प्रेशर कम हो रहा है।

संडील के लोगों ने किया मटका फोड़ प्रदर्शन

संडील गांव के जलघर पर ग्रामीणों की ओर से जड़े ताले को खुलवाने के लिए बुधवार को विभाग एसडीओ सतीश छाछिया व जेई सुमेर जलघर पर पहुंचे। जहां उन्होंने महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा। महिलाओं ने उनके सामने ही मटके फोड़कर अपना विरोध जताया। मामला उसे समय तनाव का बन गया जब जेई सुमेर सिंह ने जलघर पर लगे ताले को तोड़ दिया। इस पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और मामला ज्यादा बढ़ गया। बाद में बुजुर्गो ने बीच बचाव कर मामले को शांत किया। ग्रामीणों का कहना था कि पीने का पानी का संकट बना हुआ है। विभाग ने जो पाइप लाइन लगाई थी वह भी पुरानी है। बुधवार को गांव के लोगों के सामने उक्त बोर से पाइपों को निकलवाया तो पाइप नए न होकर पुराने मिले। गांव के लोगों का कहना है कि विभाग द्वारा ठेकेदार से मिलीभगत करके बोर में पुराने पाइपों को डालकर सरकार को नई पाइपों के बिल के रूप में चूना लगाने का काम किया है।

जल्द समाधान होगा

गांव के पेयजल संकट का जल्द ही समाधान किया जाएगा। जहां पर भी पानी की दिक्कत है उनको प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा। ग्रामीणों ने जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उनकी भी जांच की जाएगी। पुराने पाइप बोर में मैकेनिकल डिविजन अंबाला कैंट के अधिकारियों की देखरेख में लगवाए थे।

सतीश छाछिया, एसडीओ जनस्वास्थ्य विभाग


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