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गंदगी से टूटेगा स्वच्छता का सपना

सफाई व्यवस्था जांचने के लिए एनजीटी की टीम शनिवार को यहां पहुंचेगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 08:32 AM (IST)
गंदगी से टूटेगा स्वच्छता का सपना
गंदगी से टूटेगा स्वच्छता का सपना

जागरण संवाददाता, जींद : सफाई व्यवस्था जांचने के लिए एनजीटी की टीम शनिवार को यहां पहुंचेगी। इसकी आहट मात्र से ही नगर परिषद तैयारी में जुट गई है। समिति के चेयरमैन प्रीतमपाल दोपहर को स्पेशल टास्क फोर्स की बैठक लेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि मीटिग के बाद वे प्रीतमपाल नागरिक अस्पताल, बस स्टैंड, पुराना रोड पर बनी डंपिग साइट और अन्य जगह दौरा कर सकते हैं।

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शुक्रवार को भी इस दौरे के लिए नगर परिषद के अधिकारी मशक्कत करते नजर आए। जनवरी में स्वच्छता सर्वे भी शुरू हो रहा है। इसके चलते मुख्य बाजारों, सड़कों की रात के समय सफाई शुरू हो चुकी है। सड़कों के किनारे जगह-जगह लगे कूड़े के ढेरों को उठाकर वहां चूना डाला जा रहा है। ये हालात बनेंगे चुनौती

शहर में सड़क किनारे कूड़े के ढेर लगे हैं। खाली प्लॉटों में भी लोग कूड़ा डाल रहे हैं। छह माह से सफाई का ठेका नहीं होने से हालत और बिगड़ गई। नगर परिषद अधिकारियों और ठेकेदार के कारिदों इसे सुधारने में करीब 10 दिन लगेंगे। नगर परिषद के पास करीब 225 सफाई कर्मचारी हैं। जबकि शहर की करीब पौने दो लाख आबादी के हिसाब से 800 सफाई कर्मचारी चाहिए। नगर परिषद के कर्मचारियों के जिम्मे कॉलोनियों के अंदर गलियों की सफाई का जिम्मा है, लेकिन गलियों की सफाई भी रूटीन में नहीं हो पाती। जून में ही पटरी से उतर गई थी व्यवस्था

जून में सफाई का पिछला ठेका खत्म होने के बाद सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई। अभी हाल ही में छह माह बाद सफाई का नया ठेका हुआ है। पिछला सफाई का ठेका 24 लाख का था, जो इस बार बढ़ कर 58 लाख रुपये हो गया। इसकी मंजूरी मिलना शेष है। मंजूरी नहीं मिलने तक 48 लाख रुपये महीना के हिसाब से नगर परिषद ठेकेदार को पेमेंट करेगी। हालांकि सफाई का ठेका दोगुना से भी ज्यादा बढ़ने के पीछे नगर परिषद तर्क दे रही है कि ठेके में कई चीजें जोड़ी गई हैं। इससे रेट बढ़े हैं। अस्पताल प्रशासन भी अलर्ट

एनजीटी के दौरे से पहले नागरिक अस्पताल प्रबंधन भी सक्रिय हो गया है। अस्पताल में बायोमेडिकल बायो वेस्ट मैनेजमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमानुसार सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि अस्पताल से कूड़ा उठाने नगर परिषद के ठेकेदार इनकार करते रहे हैं। इसके पीछे हवाला दिया जाता है कि अस्पताल के कूड़े में मेडिकल वेस्ट होता है। नए ठेके में ये चीजें की शामिल

ठेकेदार के कर्मचारी डोर टू डोर जाकर प्रत्येक घर से कूड़ा लेकर आएंगे। ठोस व तरल कूड़े को अलग-अलग करके सीधे डंपिग साइट पर डाला जाएगा। जिसके लिए 40 गाड़ियां, करीब डेढ़ दर्जन रेहड़ियां इस काम में लगाई जाएंगी।

मुख्य बाजारों, मुख्य मार्गों की रात को सफाई की जाएगी। इसके लिए करीब 200 कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। पिछले साल केवल कूड़ा लिफ्टिग व मुख्य मार्गों की सफाई का काम ठेके में शामिल था।

चार-पांच वार्डों का कूड़ा रानी तालाब पर बने सेनेटरी पार्क में ले जाएगा। जहां सूखे व गीले कूड़े को अलग-अलग करके गीले कूड़े से खाद तैयार की जाएगी। डंपिग ासाइट पर जो कूड़ा डाला जाएगा, उसमें केमिकल डाल कर उपचारित भी किया जाएगा। अतिरिक्त सुविधाएं जोड़ने से बढ़ी लागत

अगले कुछ दिनों में शहर में सड़क किनारों, खाली प्लाटों में कहीं भी कूड़ा नजर नहीं आएगा। ठेकेदार के कर्मचारी घर-घर से कूड़ा लेकर जाएंगे। नए ठेके में कई सुविधाएं शामिल की गई हैं। जिससे सफाई ठेके का खर्च बढ़ा। एनजीटी की गाइड लाइन के अनुसार शहर में सफाई व्यवस्था की जाएगी। कार्यकारी समिति की चेयरमैन स्वच्छता सर्वे से पहले निरीक्षण करेंगे, ताकि जो कमियां हैं, उन्हें दूर किया जा सके।

पूनम सैनी, प्रधान, नगर परिषद, जींद


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