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पेयजल सप्लाई में आ रहा गंदा पानी, विभाग को नहीं मिल रही दबाई गई पाइप लाइन

सिधवीखेड़ा गांव के दर्जनों घरों में पेयजल सप्लाई के रूप में गंदा पानी आ रहा है। जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी समस्या के निदान के लिए आए लेकिन उन्हें जमीन में दबाई गई पाइप लाइन ही नहीं मिली।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:00 AM (IST)
पेयजल सप्लाई में आ रहा गंदा पानी, विभाग को नहीं मिल रही दबाई गई पाइप लाइन
पेयजल सप्लाई में आ रहा गंदा पानी, विभाग को नहीं मिल रही दबाई गई पाइप लाइन

जागरण संवाददाता, जींद : सिधवीखेड़ा गांव के दर्जनों घरों में पेयजल सप्लाई के रूप में गंदा पानी आ रहा है। 50 से ज्यादा लिखित शिकायतें देने के बाद जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी समस्या के निदान के लिए आए लेकिन उन्हें जमीन में दबाई गई पाइप लाइन ही नहीं मिली। जगह-जगह गहरे गड्ढे खोद दिए, जिन्हें बंद भी नहीं किया गया। मजबूरी में ग्रामीणों को दो-दो किलोमीटर दूर नलके और हैंडपंपों से पीने का पानी लाना पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि जिन घरों में पीने का पानी नहीं पहुंच रहा, उन्हें भी पेयजल के बिल भेजे जा रहे हैं।

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सिधवी खेड़ा गांव के संदीप पूनिया, बलजीत, महेंद्र, राजबीर, बिदी, सोमवीर, पवन ने बताया कि गांव में 1972 में पीने के पानी की पाइप लाइन दबाई गई थी। 48 सालों बाद यह पाइप लाइन जर्जर हो गई और जगह-जगह लीक होने लगी। जब भी सप्लाई छोड़ी जाती है, पानी लीक होकर ऊपर आने लगता है और जैसे ही सप्लाई बंद होती है, यह मिट्टी के साथ वापस पाइप लाइन में चला जाता है। इससे सप्लाई में गंदा पानी आता है, जो न पीने लायक होता है और न ही घरेलू प्रयोग में आता है। दर्जनों बार प्रशासन को समस्या से अवगत करवाया जा चुका है लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो पा रहा।

सिर पर ढोना पड़ता है पानी

पूनिया मोहल्ले की सोनिया, कोपिला, सुदेश, राजबाला, गीता, संतर, मनीषा, सावित्री, बाली, रुकमण, सरती देवी ने बताया कि पीने के पानी के लिए उन्हें दूर-दूर तक धक्के खाने पड़ते हैं। गांव के बाहर खेतों से हैंडपंप और नलकों से पीने का पानी लेकर आना पड़ता है। उनका आधा दिन तो पानी ढोने में ही निकल जाता है। सर्दियों में ही इतनी परेशानी झेलनी पड़ती है तो गर्मी में और भी बुरा हाल होता है।

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पाइप लाइन मिली नहीं, खोद डाले गहरे गड्ढे

सिधवी खेड़ा के संदीप और बलजीत ने बताया कि विभाग ने पेयजल की पाइप लाइन को ढूंढने के लिए 10-10 फीट गहरे गड्ढे खोद डाले लेकिन पाइप लाइन नहीं मिली। मुख्य गलियों में गड्ढों को खोद तो डाला लेकिन भरा नहीं। इनमें भैंस और गाय समेत कई पशु गिरकर घायल हो चुके हैं। ग्रामीणों दोहरी मार इस समय झेल रहे हैं लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। ग्रामीणों ने गृह मंत्री अनिल विज को भी शिकायत देने की बात कही है।

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लगभग 48 साल पुरानी पेयजल की पाइप लाइन को बदलवाने के लिए जन स्वास्वास्थ्य विभाग को लिखा गया था लेकिन अभी तक पाइप लाइन दबाने को लेकर कोई रिस्पांस नहीं मिला है। विभाग को लिखित में भी पाइप लाइन बदलने के लिए दिया जा चुका है।

--महीपाल, सरपंच, गांव सिधवी खेड़ा।

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ग्रामीणों की शिकायत मिली है। 48 साल पुरानी पेयजल लाइन है, इसलिए पता लगाया जा रहा है। जहां भी ग्रामीण बता रहे हैं, वहीं पर गड़्ढा खोदकर चैक किया जा रहा है। उनका प्रयास है कि जल्द समाधान किया जाए। अगर पाइप लाइन नहीं मिली तो नई पाइप लाइन दबाई जाएगी।

--संजीव कुमार, एसडीओ, पब्लिक हेल्थ।


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