उत्तर प्रदेश से धड़ल्ले से ला रहे देसी कट्टे, अगस्त तक 110 अवैध हथियार बरामद
जागरण संवाददाता, जींद : जिले में अवैध, पिस्टल, रिवाल्वर और कट्टा रखने वालों की संख्या तेजी स
जागरण संवाददाता, जींद : जिले में अवैध, पिस्टल, रिवाल्वर और कट्टा रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हथियार का शौक रखने वाले या आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों को उत्तर प्रदेश से आसानी से ही 2000 से लेकर 3500 रुपये में अवैध पिस्तौल मिल जाते हैं।
पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार अगस्त माह तक पुलिस ने 85 लोगों से करीब 110 अवैध हथियार बरामद किए हैं। वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुकाबले इनमें कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। वर्ष 2017 में जिले के विभिन्न थानों में 30 मामले दर्ज हुए थे और 35 हथियार बरामद किए गए। जिले में कई ऐसे गैंग भी हैं जो अवैध हथियारों के धंधे में बीच की कड़ी का काम कर रहते हैं। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले युवा अधिकतर मामलों में पुराने अपराधियों की शरण में जाते हैं। पुलिस की पकड़ में आए कई अपराधी भी इस बात को कबूल चुके हैं कि उनके पास किसी अपराधी की सहायता से उत्तर प्रदेश या सीमा के साथ लगते क्षेत्र से अवैध हथियार आया है, लेकिन पुलिस किसी भी मामले में तह तक नहीं पहुंची। हैरानी की बात ये कि पुलिस ने हथियारों के मामले में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में खरीद की जगह और सप्लायर का नाम तो जरूर पूछा होगा। इसके बाद भी पुलिस सरगनाओं तक पहुंचने में नाकाम है। यही वजह है कि कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
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वारदात में प्रयुक्त हथियार हैं देसी मार्का
जिले में लुटेरों और हत्यारोपियों से वारदात में प्रयुक्त जितने भी हथियार बरामद हुए हैं, एक आध को छोड़कर सभी देशी हैं। जानकारों की मानें तो उत्तर प्रदेश के गांवों में इस प्रकार की देशी पिस्तौलों का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाता है। पुलिस की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर कारोबारी हथियारों को खपाने में जुटे हुए हैं। सबकुछ जानकार भी जिम्मेदार मामले की जड़ तक नहीं पहुंचना चाहते। इसलिए दिक्कत बरकरार है।
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अवैध हथियारों का ब्योरा
कट्टे 95
रिवाल्वर 04
बंदूक 07
कारतूस 152
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संगीन अपराध में प्रयोग हो रहे हथियार
अपराधियों से बरामद होने वाले 315 बोर से लेकर 12 बोर के कट्टे, देसी पिस्टल व रिवाल्वर का दुरुपयोग संगीन अपराध घटित करने में हो रहा है। आपराधिक मानसिकता के लोग लूट, डकैती व हत्या के अपराधों में करते हैं। पुलिस ने जब-जब बड़ी संख्या में हथियार पकड़े हैं तब तब मुल्जिमों की गिरफ्तारी व नाममात्र के रिमांड तक मामला सिमट गया। अगर पुलिस हथियार बनाने से लेकर उसकी मार्के¨टग व ब्रां¨डग करने वाले तत्व, सेल्समैन व खरीद करने वालों के बीच की पूरी चेन को पकड़ा जाए तो हथियारों से इस धंधे पर लगाम लगाई जा सकती है।
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स्कूल व कालेज में पढ़ने वाले बच्चों तक पहुंच रहे आसानी से
जिले में अवैध हथियारों की सप्लाई का असर है कि स्कूल व कालेज में पढ़ने वाले बच्चों तक हथियार आसानी से पहुंच रहे है। तीन दिन पहले ही चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने विश्वविद्यालय में घुसकर वीसी कार्यालय के बाहर फाय¨रग कर दी थी। जहां पर पूछताछ में सामने आया था कि हथियारों को वह गुड़ बेचने आने वाले यूपी के लोगों से खरीदा था।