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डीसी साहब! छह माह पहले योजना के तहत तुड़वाए मकान, पहली किस्त भी नहीं मिली

डीसी साहब! प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन किस्तों में राशि मिलनी थी। अब तक एक भी किस्त भी नहीं मिली है, जबकि छह माह पहले ही हमारे मकान तुड़वा दिए गए हैं। अब हम किराए पर रहने को मजबूर हैं। रेलवे लाइन से दूसरी तरफ बसी नरवाना की नई बस्ती के लोगों ने डीसी अमित खत्री के सामने यह समस्या रखी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 12:52 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 12:52 AM (IST)
डीसी साहब! छह माह पहले योजना के तहत तुड़वाए मकान, पहली किस्त भी नहीं मिली
डीसी साहब! छह माह पहले योजना के तहत तुड़वाए मकान, पहली किस्त भी नहीं मिली

जागरण संवाददाता, जींद : डीसी साहब! प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन किस्तों में राशि मिलनी थी। अब तक एक भी किस्त भी नहीं मिली है, जबकि छह माह पहले ही हमारे मकान तुड़वा दिए गए हैं। अब हम किराए पर रहने को मजबूर हैं। रेलवे लाइन से दूसरी तरफ बसी नरवाना की नई बस्ती के लोगों ने डीसी अमित खत्री के सामने यह समस्या रखी।

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अपना मकान बनवाने के लिए राशि न मिलने पर बस्ती के लोग बुधवार को डीसी से मिलने पहुंचे थे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की थी। लघु सचिवालय में पहुंचे लोगों का कहना था कि उनकी बस्ती में तीन सौ से ज्यादा परिवार रहते हैं। सिर्फ 30 ही ऐसे परिवार हैं, जिनको सिर्फ पहली ही किस्त मिली है। उनके भी मकानों को तुड़वाया हुआ है। बस्ती के लोगों ने बताया कि मकानों के पड़वाने से पहले अधिकारियों ने कोई भी रजिस्ट्री नहीं मांगी और अब जब पूछने जाते हैं तो कहते हैं कि पहले मकान की नई रजिस्ट्री लेकर आओ। हमें बार-बार गुमराह किया जा रहा है। बस्ती के लोगों की बातों को सुनकर डीसी अमित खत्री ने समस्या संबंधित अधिकारी को लोगों की समस्या का हल करने का आश्वासन दे दिया। डीसी के आश्वासन के बाद वह सभी वापस आ गए।

नक्शा पास करने के लिए रुपये मांगने के आरोप

बस्ती में रहने वाले राजेश, सुखदेव, पप्पू, चंद्रभान, ज्ञानचंद, सुखवंती, सेवा, फुल्ली, बलदेव, सरित, मीरा, कमलेश, मुकेश देवी, रामकुमार आदि ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब योजना की प्रक्रिया शुरू हुई थी, उस समय से लेकर अब जिन 30 परिवारों के पैसे आए हुए हैं। उनके नक्शे भी पहले 2500 रुपये में पास किए गए थे, लेकिन अब वही अधिकारी नक्शा पास करने के 18 से 20 हजार रुपये मांग रहे हैं। अब ऐसे में वह गरीब आदमी इतने पैसे कैसे दे सकते हैं।

वह मकान बनाने की पहली किस्त देने के लिए अधिकारियों के पास गई थी, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि पहले वह ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा ले। जैसे ही वह पूरे दस्तावेज लेकर गई तो उनका कहना था कि अब तो स्कीम ही बंद हो गई है, अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। मकानों की नींव भी आधी भरी हुई है। हम तो किराए पर रह रहे हैं।

सुनीता देवी, आजादनगर निवासी नरवाना

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अब अधिकारी मकान के नक्शे मांग रहे हैं। ये हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। गरीब आदमी पक्के नक्शे कहां से लेकर आएगा। जो मकान बने हुए हैं, वह तो पुराने समय से ही बने हुए हैं। हमारे मकान तुड़वा कर गिरा दिए हैं और अब तक कोई पैसा भी नहीं मिला है।

किताबो, महिला, नरवाना।


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