सीआरएसयू महज कॉलेज बन कर रह गया, चार साल बाद भी नियमित भर्ती नहीं
जागरण संवाददाता, जींद : चार साल पहले अस्तित्व में आया चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय महज एक क
जागरण संवाददाता, जींद : चार साल पहले अस्तित्व में आया चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय महज एक कॉलेज बन कर रह गया है। नियमित स्टाफ नहीं होने के कारण कुछ विषयों को छोड़ दें, तो विश्वविद्यालय में शोध कार्य नहीं हो रहे हैं। जिससे विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए अब भी बाहर का रूख करना पड़ रहा है। वहीं एमए ¨हदी, लॉ व अन्य कोर्स शुरू नहीं हो सके हैं।
साल 2014 में सीआरएसयू शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक यहां नियमित स्टाफ की भर्ती नहीं हुई है। टी¨चग स्टाफ में दो प्रोफेसर, डेपुटेशन पर एक एसोसिएट प्रोफेसर व चार सहायक प्रोफेसर ही नियमित हैं, जबकि 54 कॉन्ट्रेक्ट पर रखे हुए हैं। फिजिक्स, केमेस्ट्री के कोर्स तो शुरू हो गए हैं, लेकिन इनकी लैब नहीं हैं। इन सब्जेक्ट का नियमित स्टाफ नहीं होने के कारण लेक्चर के लिए बाहर से गेस्ट बुलाने पड़ रहे हैं। नियमित स्टाफ नहीं होने के कारण क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रही है।
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राजकीय कॉलेज में बाहर लग रही कक्षाएं
कुछ इसी तरह के हालात जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय कॉलेज के हैं। यहां एक्सटेंशन पर भर्ती स्टाफ के सहारे ही विद्यार्थियों की पढ़ाई चल रही है। इंग्लिश लेक्चरर के ट्रांसफर के बाद 50 नियमित व 67 एक्सटेंशन पर भर्ती किया गया स्टाफ है। जागरण टीम जब बृहस्पतिवार को राजकीय महाविद्यालय में पहुंची, तो पेड़ के नीचे क्लास लगी हुई थी। बीए फाइनल वर्ष की छात्रा अनु ने बताया कि इंग्लिश के लेक्चरर का ट्रांसफर हो गया है, जिसके चलते सप्ताह में तीन दिन ही इंग्लिश की क्लास लगती है। छात्र अमृत ने बताया कि एक ही सब्जेक्ट को पढ़ाने वाला शिक्षक बार-बार बदल जाता है, जिससे पढ़ाई का रूटिन नहीं बन पाता है।
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एबीवीपी ने उठाए सवाल
अप्रत्यक्ष चुनाव के बाद कॉलेजों व विवि में चुन कर प्रतिनिधियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर विवि व कॉलेज प्रबंधन के साथ प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विवि व कॉलेजों में नियमित स्टाफ नहीं है। लाइब्रेरी में पूरी किताबें नहीं हैं। पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। कहने को तो जींद में महज 75 एकड़ में विश्वविद्यालय बना दिया, लेकिन यहां नए कोर्स नहीं आ रहे हैं। वे कॉलेज व विवि में विद्यार्थियों के समक्ष आ रही समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएंगे और जरूरत पड़ने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। इस दौरान सीआरएसयू प्रधान युवराज, राजकीय कॉलेज प्रधान प्रिया बंसल, जुलाना कॉलेज उपप्रधान दीपक, एबीवीपी जिला चुनाव मीडिया प्रभारी मंजीत ईगराह, मनोज अत्री, नरेंद्र नैन, वीरेंद्र ¨पडारा मौजूद रहे।
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स्टाफ नहीं पूरा
राजकीय कॉलेज प्रधान प्रिया ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि कॉलेज में स्टाफ की कमी है। कमरे भी पूरे नहीं है, जिसके चलते विद्यार्थियों को बाहर पेड़ों के नीचे क्लास लगानी पड़ती हैं। बाहरी शरारती तत्वों का कॉलेज में जमावड़ा रहता है। पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाए, तो उसके लिए फर्स्ट एड की कोई व्यवस्था नहीं है।
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की जाएं नियमित भर्तियां
सीआरएसयू प्रधान युवराज ने कहा कि स्टाफ की नियमित भर्ती नहीं होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यहां से विद्यार्थी एमए तो कर लेते हैं, लेकिन नियमित स्टाफ नहीं होने से पीएचडी के लिए बाहर जाना पड़ता है। एमए ¨हदी, लॉ जैसे कोर्स शुरू किए जाने चाहिए। फिजिक्स व केमेस्ट्री के टीचर नहीं हैं, लेक्चर के लिए गेस्ट बुलाने पड़ते हैं।
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नियमित भर्ती पर रोक
चार साल पुराने किसी भी विश्वविद्यालय में सीआरएसयू जैसी स्थिति की नहीं है। हमारे पास 12बी का स्टेटस है, जिसका मतलब ये है कि केंद्र सरकार की ग्रांट के लिए विवि, उसका हर टीचर व स्टूडेंट योग्य है। जो किसी भी शोध के लिए स्कॉलरशिप ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट में रिजर्वेशन पोलिसी पर रि-फि¨क्सग हो रही है, जब तक वो क्लीयर नहीं होता, नियमित भर्ती पर रोक है।
प्रो. आरबी सोलंकी, वीसी, सीआरएसयू