ठंड और धुंध से रफ्तार पर ब्रेक, अभी यूं ही रहेगा जींद का मौसम
एक सप्ताह से ठंड लगातार बढ़ रही है। एक तरफ जहां जाड्डे से शरीर जमने लगा है तो दूसरी तरफ धुंध भी कम होने का नाम नहीं ले रही।
जागरण संवाददाता, जींद : पिछले एक सप्ताह से ठंड लगातार बढ़ रही है। एक तरफ जहां जाड्डे से शरीर जमने लगा है तो दूसरी तरफ धुंध भी कम होने का नाम नहीं ले रही। शनिवार को पूरा शहर धुंध के आगोश में लिपटा नजर आया तो वाहनों की रफ्तार पर भी धुंध के कारण ब्रेक लग गए। वाहन चालकों को 10 मीटर तक के वाहन साफ नहीं दिखाई दे रहे थे। सबसे अधिक परेशानी दोपहिया वाहन चालकों को हुई। शनिवार को न्यूनतम तापमान 5 डिग्री तक आ पहुंचा। इतनी ठंड से जनजीवन पर खासा असर पड़ रहा है। दोपहर 12 बजे तक भी लोगों को सूर्य देवता के ठीक से दर्शन नहीं हुए। शनिवार के दिन का आगाज कड़ाके की ठंड तथा घनी धुंध के साथ हुआ। धुंध इतनी घनी थी कि वाहनों को एक दूसरे के पीछे लाइट जलाकर चलते देखा गया। धुंध बारिश की तरह आसमान से टपक रही थी।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रभारी डा. मदन खिचड़ ने बताया कि 21 जनवरी तक मौसम खुश्क मगर परिवर्तनशील रहने की संभावना है। इस दौरान दिन के समय तापमान में हल्की बढ़ोतरी मगर उत्तर पश्चिमी शीत हवाएं चलने की संभावना है। इससे अब रात्रि तापमान में गिरावट होने की संभावना है। हवा में नमी की मात्रा अधिक होने से अलसुबह या देर रात्रि धुंध छाए रहने की संभावना है। रात्रि तापमान में लगातार संभावित गिरावट से राज्य में 18 जनवरी से 20 जनवरी के बीच कहीं कहीं पाला पड़ने की भी संभावना है ।
बदलते मौसम को लेकर किसान इन बातों का रखें ध्यान
रात्रि तापमान में गिरावट व पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए सरसों, सब्जियों विशेषकर आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन तथा छोटे फलदार पौधों व नर्सरी के बचाव के लिए यदि पानी उपलब्ध हो तो हल्की सिचाई करे ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके और खेत के किनारे पर तथा 15 से 20 फीट की दूरी के अंतराल पर जिस और से हवा आ रही है रात्रि के समय कूड़ा कचरा सूखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सके व पाले का हानिकारक प्रभाव न पड़े। सीमित क्षेत्र में लगी हुई नर्सरी को टाट, पॉलीथिन व भूसे से ढ़कें। गेहूं पीली पड़े तो यह अपनाएं उपाय
दिन का तापमान कम रहने व बादलवाई रहने से गेहूं की फसल में पीलापन दिखाई देता हो तो 2.500 किलोग्राम यूरिया व 500 ग्राम जिक सल्फेट (21 फीसद) को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक ने बताया कि नमी की अधिकता के कारण सरसों की फसल में सफेद रतुआ के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। यदि पत्तों पर सफेद व क्रीम रंग के छोटे धब्बे दिखाई दे तो 600 ग्राम मेंकोजेब (डाईथेन या इंडोफिल एम 45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इस स्प्रे से अल्टरनेरिया ब्लाइट व डाउनी मिल्ड्यू (फुलिया) से सरसों की फसल का बचाव भी होता है।