चुनावी रंग में रंगी बांगर-जाट बेल्ट, मतदाताओं की चुप्पी दे रही खास संकेत
जींद उपचुनाव में माहौल गर्मा गया है। जींद क्षेत्र चुनावी रंग में रंगा हुआ है और सभी दलों के नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया है। इन सबके बीच मतदाताओं की चुप्पी खास संकेत दे रही है।
जींद, [अनुराग अग्रवाल]। बांगर जाट बेल्ट के नाम से मशहूर जींद की धरती आजकल चुनावी रंग में रंगी है। व्यापारी और दुकानदार चुपचाप अपने काम में लगे हैं, लेकिन गांव की चौपालों पर प्रत्याशियों की हार जीत के गणित जोड़े जा रहे हैं। सड़कों पर दौड़ रहे सरपट वाहन...शहर में लगे झंडे बैनर और शाम को होने वाली नुक्कड़ सभाएं जींद का चुनावी मिजाज बेहद गरम होने की तरफ इशारा कर रहे हैं। मतदाता खामोश है और यह खामोशी खास संकेत दे रही है।
अमूमन चुनावों में ऐसा होता आया है, लेकिन जाट बाहुल्य इस इलाके में तीन-तीन जाट प्रत्याशियों के चुनावी समर में ताल ठोंकना मतदाताओं की खामोशी की बड़ी वजह है। इस चुनावी रण में अगर कुछ खास है तो कांग्रेस दिग्गज रणदीप सिंह सुरजेवाला की एंट्री, जिसकी वजह से यह चुनाव राष्ट्रीय फलक पर हाईप्रोफाइल बन गया है।
सुरजेवाला के कूदने से हाईप्रोफाइल हुआ चुनाव, जाट वोट बैंक पर सभी प्रत्याशियों की निगाह
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। दो बार इनेलो के टिकट पर विधायक रह चुके डॉ. हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को भाजपा ने यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। इससे पार्टी के कुछ लोग नाराज हैं, मगर उन्हें मनाने की जिम्मेदारी खुद भाजपा प्रभारी डाॅ. अनिल जैन और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी कोर टीम को सौंप दी है। गैर जाट कृष्ण मिड्ढा को वैश्य, ब्राह्मण और भाजपा के परंपरागत वोट बैंक का पूरा आसरा है। पिछड़ों पर भी भाजपा की निगाह टिकी है। भाजपा को अगर कुछ दरकार है तो अपनी पार्टी के उन जाट नेताओं के करिश्मे की, जो इस बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हुए अहम पदों पर काबिज हैं।
कांग्रेस की अगर बात करें तो रणदीप सुरजेवाला बाकी सभी प्रत्याशियों पर भारी नजर आ रहे हैं। न केवल जींद बल्कि पूरे प्रदेश के लिए कांग्रेस से सुरजेवाला की उम्मीदवारी बेहद चौंकाने वाली है। सुरजेवाला कैथल से विधायक हैं और हुड्डा सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। हुड्डा विधानसभा में जब भी संकट में हुए, सुरजेवाला ने मोर्चा संभालते हुए उन्हें सहारा दिया। अब बारी हुड्डा और उनकी टीम की है।
राहुल गांधी के बेहद विश्वासपात्रों में शामिल सुरजेवाला का ही दम है कि गुटों में बंटे तमाम कांग्रेसी हुड्डा, तंवर, किरण, सैलजा और कुलदीप ने उन्हें जिताने के लिए सिर जोड़ लिए हैं। गेम बदलने में माहिर सुरजेवाला ने यहां कमाल किया तो हरियाणा में उन्हें भविष्य का नेता बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। उन्हें जाटों के साथ-साथ पार्टी के परंपरागत, युवाओं और गैर जाट मतदाताओं का समर्थन हासिल हो रहा है। रणदीप की ताकत उसके गैर जाट मतदाता भी हैं।
जींद की धरती से ही अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी ने दिग्विजय सिंह चौटाला पर दांव खेला है। दिग्विजय इनेलो से निष्कासित डा. अजय सिंह चौटाला के बेटे और हिसार के सांसद दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई हैं। जाट बेल्ट में यह उनका पहला चुनाव है। रणनीति के तहत दुष्यंत ने अपने भाई को बांगर-जाट बेल्ट के रण में उतारा है। जाटों के साथ-साथ युवाओं के बूते दिग्विजय चुनावी समर में अपने विरोधियों को सीधी टक्कर दे रहे हैं। दुष्यंत न केवल लगातार दूसरे दलों के मतों में सेंधमारी कर रहे हैं, बल्कि कुशल रणनीतिकार की तरह वोटों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश में भी हैं।
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने उम्मेद सिंह रेढू को पार्टी उम्मीदवार बनाया है। दिग्विजय के सामने पहले अभय अपने बेटे अर्जुन को चुनाव मैदान में उतारना चाह रहे थे, मगर उन्होंने ऐन वक्त पर अपनी रणनीति बदल ली। उम्मेद सिंह को कंडेला खाप का प्रतिनिधि बताया जा रहा है। तीन-तीन जाट उम्मीदवारों में जाटों के वोट बंटने के कारण रेढू को पिछड़ों में सेंधमारी करनी पड़ सकती है।
पिछड़े बसपा व कांग्रेस का वोटबैंक माने जाते हैं, जबकि भाजपा ने भी उनमें सेंधमारी कर रखी है। भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र रक्षा पार्टी के उम्मीदवार विनोद आश्री भले ही कुछ कमाल न कर दिखाएं, लेकिन वह सत्तारूढ़ भाजपा समेत दूसरे दलों का गणित जरूर बिगाड़ सकते हैं।
दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
जींद का रण बेहद रोमांचक हो गया है। यहां बड़े कद्दावर नेताओं मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा, अशोक तंवर और कुलदीप बिश्नोई तथा भाजपा के जाट नेताओं बीरेंद्र सिंह, सुभाष बराला, कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला के साथ-साथ अभय सिंह चौटाला का राजनीतिक भविष्य भी यह चुनाव तय करेगा। भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी की दिशा इस चुनाव से तय होगी।
इस तरह से समझिए वोटों का गणित
जींद में एक लाख 70 हजार मतदाता है। इनमें 52 हजार जाट, 15 हजार पंजाबी, 17 हजार ब्राह्मïण, 13 हजार वैश्य, 12 हजार सैनी, 10 हजार वाल्मीकि और साढ़े सात हजार बीसी मतदाता शामिल हैैं। भाजपा को गैर जाट मतों के साथ-साथ जाट मत मिलने की भी पूरी आस है, जबकि सुरजेवाला के समर्थन में कंडेला खाप कोई फैसला ले सकती है। यही प्रयास दिग्विजय सिंह चौटाला का भी है। चुनाव 28 जनवरी को है और नतीजे 31 जनवरी को आएंगे।