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हुडा सेक्टरों में पशु पालने पर बैन फिर भी हर गली में बेसहारा पशुओं की फौज

हुडा सेक्टरों में पशु पालने पर बैन होने के बावजूद बेसहारा पशुओं की भरमार है। सेक्टरवासियों ने की मानें तो उन्होंने लाखों रुपये की लागत से कोठियां बनाई है लेकिन पशुओं को रखने पर मनाही है। जहां हुडा पशु पालने पर पशु पालक को नोटिस थमाकर जुर्माना कर देता है वहीं सड़कों पर घूम रहे इन बेसहारा पशुओं पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:32 AM (IST)
हुडा सेक्टरों में पशु पालने पर बैन फिर भी हर गली में बेसहारा पशुओं की फौज
हुडा सेक्टरों में पशु पालने पर बैन फिर भी हर गली में बेसहारा पशुओं की फौज

जागरण संवाददाता, जींद : हुडा सेक्टरों में पशु पालने पर बैन होने के बावजूद बेसहारा पशुओं की भरमार है। सेक्टरवासियों ने की मानें तो उन्होंने लाखों रुपये की लागत से कोठियां बनाई है लेकिन पशुओं को रखने पर मनाही है। जहां हुडा पशु पालने पर पशु पालक को नोटिस थमाकर जुर्माना कर देता है, वहीं सड़कों पर घूम रहे इन बेसहारा पशुओं पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। बेसहारा पशु किसी भी समय लड़ने लग जाते हैं और वहां से निकल रहे लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। पशुओं की बढ़ती इस संख्या के चलते छोटे बच्चे गलियों में खेल नहीं पाते हैं। बेसहारा पशु कई लोगों को चोट मार घायल कर चुके हैं। बेसहारा पशुओं से शहर को मुक्त करने का अभियान भी असफल हो रहा है। अब लोगों ने प्रशासन से इस स्थिति पर रोक लगाने की मांग की है, ताकि लोगों को परेशानी का सामना करना पड़े।

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प्रतिदिन लोग हो रहे घायल

बेसहारा पशुओं की चपेट में आने से प्रतिदिन लोग घायल हो रहे हैं। अर्बन एस्टेट निवासी बुजुर्ग शमशेर को इसी सप्ताह सांड़ ने एलआइसी के निकट टक्कर मार दी और इसमें उसके हाथ व पांच में फ्रैक्चर आ गया। इसी प्रकार जाट धर्मशाला के निकट दो दिन पहले स्कूल से लौट रहे बच्चे आपस में लड़ रहे सांडों की चपेट में आ गए और आसपास के लोगों ने बचा लिया। इस प्रकार प्रति माह बेसहारा पशुओं की चपेट में आने से 20 से 25 लोग घायल हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा।

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बोझ समझकर छोड़ रहे सड़कों पर

जो पशु सड़कों पर घूम रहे हैं उनमें ज्यादातर वे गाय हैं जो दूध नहीं देती। जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो पशुपालक उसे बोझ समझने लगते हैं। वे उसे घर में चारा खिलाने की बजाय छोड़ देते हैं। घास चरने के बाद पशु घर आ गया तो ठीक वरना उन्हें कोई परवाह नहीं। इसी तरह लोग गाय की बछड़ी को तो रख लेते हैं, लेकिन बछड़ों को रखने की बजाय सड़कों पर छोड़ देते हैं। क्योंकि बछड़ा उनके किसी काम का नहीं।

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हुडा ने सेक्टरों में पशु रखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन इससे ज्यादा तो बेसहारा पशुओं की संख्या है। पशु कचरे में मुंह मारते घूमते हैं। सड़कों पर शाम के समय सैर करने आने वाले लोगों को पशु कई बार चोटिल कर चुके हैं। इसके अलावा जगह-जगह गोबर कर सेक्टर में गंदगी फैलाते हैं।

-अजय बिदल, अर्बन एस्टेट निवासी

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नगर परिषद का नहीं ध्यान

हुडा विभाग व नगर परिषद को शिकायत दी गई है, लेकिन कार्रवाई कहीं से नहीं हुई। प्रशासन दावा करता है कि शहर को बेसहारा पशुओं से मुक्त कर दिया है, लेकिन हुडा में तो बेसहारा पशु घूम रहे हैं। जिस कारण गंदगी फैल रही है। प्रशासन को इसके बारे में तुरंत ही कदम उठाना चाहिए।

सुशील रोहिला, प्रधान सेक्टर-6 हुडा सेक्टर जब विकसित हुए थे, तब लोगों ने भैंस-गाय रखनी शुरू की थी। लेकिन प्रशासन ने नोटिस देकर सेक्टरों में पशु पालना बंद करवा दिया। जबकि अब हुडा के सभी सेक्टरों की गलियों में बेसहारा पशु घूमते रहते हैं। प्रशासन, नगरपरिषद व हुडा अधिकारियों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। ये बेसहारा पशु सेक्टरों में जगह-जगह गोबर करके गंदगी फैला रहे हैं। इससे मच्छर, मक्खी और बदबू बढ़ रही है।

-धर्मवीर शाहपुर, डिफेंस कॉलोनी निवासी

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बेसहारा पशुओं को नंदीशाला में छोड़ने के लिए ठेका दिया हुआ है और पकड़ने का कार्य चल रहा है। ठेकेदार द्वारा पकड़ी गई गायों पर रंग से निशानी की जा रही है। सेक्टरों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को तुरंत ही पकड़कर नंदीशाला में छुड़वाया जाएगा।

पूनम सैनी, प्रधान नगर परिषद जींद


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