चीन के कायराना हमले के विरोध में फूंका पुतला, शहीदों की शहादत का बदला लेने की मांग
एलएसी (लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल) पर चीन द्वारा भारतीय सेना पर किए गए कायराना हमले के खिलाफ जींद जिले में आक्रोश काफी गहरा गया है।
जागरण संवाददाता, जींद : एलएसी (लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल) पर चीन द्वारा भारतीय सेना पर किए गए कायराना हमले के खिलाफ जींद जिले में आक्रोश काफी गहरा गया है। हर जगह चीनी सेना की दगाबाजी की किरकरी हो रही है और शहीदों की शहादत का बदला लेने की मांग लोगों द्वारा की जा रही है। दूसरी तरफ सीमा पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों को मोमबती जलाकर और मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई।
बुधवार को बजरंद दल के सदस्य पटियाला चौक पर एकत्रित हुए और चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद चीन का पुतला आग के हवाले किया गया। चीने के झंडे को भी कार्यकर्ताओं ने आक्रोष में आकर जला डाला। बजरंग दल के गोरक्षा प्रमुख राकेश अहिरका ने कहा कि चीन ने जो कायराना हरकत की है, उसका जवाब भारतीय सेना अच्छे से देने का काम करेगी। कार्यकर्ता मनदीप, सुरेंद्र चौहान ने बताया कि बजरंग दल भारतीय सेना का बलिदान व अपमान कभी सहन नही करेगा। आशीष गोलू व महावीर बिरौली ने कहा कि जब भी देश को उनकी जरूरत होगी, वह पीछे नहीं हटेंगे लेकिन शहीदों की शहादत का बदला जरूरी है। इस मौके पर केशव बंसल, विरेंद्र, भोपाल मौजूद रहे। इसके बाद रामकली, शामलो कलां गांव में भी ड्रैगन का पुतला आग के हवाले किया गया। मोधू बिसला व लीला मलिक ने बताया कि भारतीय सेना पर चीन ने धोखे के साथ वार किया है। आमने-सामने की लड़ाई में चीनी सेना भारतीयों के सामने टिक नहीं सकती। पुतला दहन के दौरान हरीश रामकली, विकास, कृष्ण, शीला, मोधू, गनेसी, रामनिवास, गौरव मौजूद रहे।
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जयति-जयति हिदू महान संगठन ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि
जयति-जयति हिदू महान संगठन ने बुधवार शाम चीन की कायराना हरकत का विरोध जताते हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उनकी शहादत को याद कर दो मिनट का मौन धारण किया गया। संगठन संयोजक अतुल चौहान ने कहा कि पिछले काफी लंबे समय से चीनी समान के बहिष्कार की बात करते आ रहे हैं लेकिन आज चीन की वजह से पूरे विश्व मे महामारी फैली है, उस पर चीन शर्मिंदा होने की बजाय भारत पर हमला और घुसपैठ कर रहा है। अब हमें सिर्फ भावुकता ही नहीं, समझदारी भी दिखानी होगी। चीन और चीन के सामान का पूरी तरह से बहिष्कार करना होगा। उत्पादकों, निवेशकों और दुकानदारों को भी यही प्रयास करना चाहिए कि वे चीनी सामानों की बिक्री न करके स्थानीय व स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करें और उपभोक्ताओं के सामने लाएं। आम जनता को भी चाहिए कि वो सस्ते चीनी सामान के स्थान पर अपने शहर और देश में बनी चीजें खरीदीं जाएं।