किसानों में केंद्र, प्रदेश सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा
तीन कृषि अध्यादेश को रद करने की मांग केंद्र सरकार द्वारा पूरी नहीं किए जाने पर किसानों में केंद्र प्रदेश सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है।
संवाद सूत्र, उचाना: तीन कृषि अध्यादेश को रद करने की मांग केंद्र सरकार द्वारा पूरी नहीं किए जाने पर किसानों में केंद्र, प्रदेश सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। खटकड़ गांव से आगे हाइवे पर टोल वाहनों के लिए लगातार छठें दिन फ्री रखा गया। टोल से कुछ दूरी पर किसान टैंट लगा कर धरना दे रहे है। धरना स्थल पर पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम मनोहर लाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, हिसार लोकसभा से भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह की फोटो को उल्टा लटका कर रोष प्रकट करते हुए तीनों कानून रद्द करने की मांग की। हर रोज धरना स्थल पर किसानों की तादाद भी बढ़ रही है। दि?ल्ली जाने वाले हरियाणा, पंजाब के किसान भी धरना स्थल पर रुक कर आगे जाते है। टोल पर किसानों द्वारा राष्ट्रीयध्वज भी लहराया गया। यहां पर जय जवान, जय किसान के साथ-साथ भारत माता जय के नारे गूंजते रहते है। बुजुर्गों के साथ-साथ युवा किसान भी धरना स्थल पर पहुंच रहे है।
किसान नेता आजाद पालवां, सतबीर बरसोला ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को शुरू से हलके में ले रही है। किसानों का यह आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया है। धरना स्थल पर किसानों ने पीएम, सीएम, डिप्टी सीएम, हिसार लोकसभा से भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह की फोटो को उल्टा करके रोष प्रकट किया। जो कृषि कानून केंद्र सरकार लेकर आई है उससे किसान खुश नहीं है तो क्यों उन कानूनों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार हठ किए हुए है। केंद्र सरकार अब इस कानून को पास कर चुके है अब वो इसके फायदे गिनवा रही है। केंद्र सरकार अगर कानून रद्द करती है तो इससे केंद्र सरकार किसान हितैषी साबित होगी न कि सरकार की किरकिरी होगी।
उन्होंने कहा कि धरना स्थल पर किसानों की संख्या हर रोज बढ़े इसके लिए निरंतर गांव में जो टीमें बनाई गई है वो दौरे कर रही है। किसानों को अधिक से अधिक संख्या पर धरना स्थल पर पहुंचने का आह्वान किया जा रहा है। हर रोज धरना स्थल पर संख्या भी किसानों की बढ़ रही है। किसानों के इस आंदोलन के साथ हर कोई जुड़ रहा है। ये कानून लागू हो गए तो इसका खामियाजा आम आदमी को भी भुगतना पड़ेगा।
एक जनवरी को होगी जिले की खापों की महापंचायत
उन्होंने बताया कि टोल पर 1 जनवरी को जिले में जितनी खाप हैं, उनकी महापंचायत होगी। इस महापंचायत में कई बड़े फैसले लिए जाएंगे। सरकार कर किसानों को नहीं सुनती है तो फिर किसान भी सरकार की नहीं सुनेंगे। तीनों कानूनों को रद करवा कर ही किसान अपने घर वापिस जाएंगे। यह किसानों ने मन बना लिया है कि अब सरकार से संघर्ष शांति पूर्वक तरीके से वो आर-पार का करेंगे।