तीन माह पहले बेटी की शादी करके गया था फौजी, खुदकुशी पर नहीं हो रहा यकीन
सीमा सुरक्षा बल के हेडकांस्टेबल गांव ईगराह निवासी विजेंद्र नरवाल 19 मार्च को ही अपनी बेटी की धूमधाम से शादी करके ड्यूटी पर गया था। बुधवार को उसने श्रीनगर के अवंतीपुरा में ड्यूटी के दौरान खुदकुशी कर ली।
जागरण संवाददाता, जींद
सीमा सुरक्षा बल के हेडकांस्टेबल गांव ईगराह निवासी विजेंद्र नरवाल 19 मार्च को ही अपनी बेटी की धूमधाम से शादी करके ड्यूटी पर गया था। बुधवार को उसने श्रीनगर के अवंतीपुरा में ड्यूटी के दौरान खुदकुशी कर ली। शुक्रवार को उसका पार्थिव शरीर गांव लाया गया तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि विजेंद्र खुदकुशी कर सकता है। इसी कारण परिजनों ने भी लाड़ले का शव देखते ही अंतिम संस्कार करने से मना करते हुए पहले पोस्टमार्टम कराने की बात कही थी।
विजेंद्र की मौत बुधवार को ही हो चुकी थी। उसी दिन परिजनों को सूचना दे दी गई थी। वीरवार का दिन कागजी कार्रवाई में चला गया। शुक्रवार शाम को विजेंद्र का शव पहले जींद के विकास नगर में लाया गया, जहां उसका परिवार रहता है। बेटी की शादी के बाद घर में पत्नी और बेटा ही थे। जबकि माता-पिता और दूसरे भाई गांव में रहते हैं। जींद में कुछ देर रुकने के बाद पार्थिव शरीर को गांव ईगराह ले जाया गया। ग्रामीणों को जैसे ही पता चला कि उनके लाड़ले विजेंद्र का पार्थिव शरीर गांव में पहुंच गया है तो उसके घर के सामने सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई। सभी लोग एक बार विजेंद्र के अंतिम दर्शन करना चाह रहे थे। विधायक परमेंद्र सिंह ढुल, एसडीएम सत्यवान मान, कैप्टन रणधीर, जिला सैनिक बोर्ड के सचिव रामनिवास सहित कई अन्य अधिकारियों व सैकड़ों ग्रामीणों ने विजेंद्र को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। --बेटे की आंखें ठहरी, पिता रोने लगे
बेटे विजेंद्र को हमेशा के लिए चिरनिद्रा में सोया देख 70 वर्षीय पिता करतार की आंखों से भी आंसू निकल आए। बेटे का शव देखकर वह कई देर तक रोते रहे। अंतिम संस्कार के समय जब बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के जवानों ने पिता करतार सिंह को तिरंगा सौंपा तो वह फिर रोने लगे। वहीं, विजेंद्र का 22 वर्षीय बेटा संजू अपने पिता के शव को एकटक देखता ही रहा। मानो उसकी आंखें ही ठहर गई हैं। संजू अपने पिता की छाती और मुंह पर वह हाथ फेर रहा था। वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। तीन माह पहले बहन की शादी के समय संजू ने पिता के साथ खूब समय बिताया था। खुशी के माहौल में पिता ड्यूटी पर गए थे। अब पिता का शव देखकर वह कुछ समझ ही नहीं पा रहा था। वहीं, विजेंद्र की पत्नी मीनू की आंखों से भी आंसू नहीं रुक रहे थे।
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पिता बोले : पता होता, तो बेटे को नहीं मरने देता
बेटा का पार्थिव शरीर देख कर 70 वर्षीय उनके पिता करतार सिंह बिलख-बिलख कर रो रहे थे। उन्हें अपने बेटे की मौत का मलाल था। वो रोते हुए कह रहे थे कि बेटे को घर में किसी तरह की परेशानी नहीं थी। अगर कोई परेशानी होती, तो वे उन्हें जरूर बताते। अगर ड्यूटी पर भी कोई दिक्कत थी, तो वे बता देते, वह सीइओ से कह कर पेंशन दिला देता।
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