भगवान का नाम परम आनंद का एकमात्र स्रोत : आचार्य
आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि भगवान का नाम ही परम आनंद का एकमात्र स्रोत है। उनको उपलब्ध होने के लिए हमें बाहर नहीं भीतर की यात्रा करनी होगी। जब आनंद की खोज बाहर की अपेक्षा भीतर की ओर होने लगे तो सफलता का द्वार खुलने लगता है।
जागरण संवाददाता, जींद : आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि भगवान का नाम ही परम आनंद का एकमात्र स्रोत है। उनको उपलब्ध होने के लिए हमें बाहर नहीं भीतर की यात्रा करनी होगी। जब आनंद की खोज बाहर की अपेक्षा भीतर की ओर होने लगे तो सफलता का द्वार खुलने लगता है। आचार्य पवन माता वैष्णवी धाम में आयोजित सत्संग को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
आचार्य ने कहा कि आनंद प्राप्ति की यह खोज जन्म लेने के साथ ही जाने-अनजाने में किसी न किसी रूप में आरंभ हो जाती है और जीवन के अंतिम क्षण तक यह खोज चलती ही रहती है। यह कभी न खत्म होने वाली खोज है। पहले भी यह खोज जारी थी, आज भी जारी है और आगे भी जारी रहेगी। ऐसा नहीं है कि कोई भी इस आनंद को आज तक नहीं पा सका। ऐसा भी नहीं है कि किसी आनंद प्राप्त व्यक्ति ने इस परम आनंद की प्राप्ति का मार्ग दूसरों को नहीं बताया, लेकिन ऐसा अवश्य है कि सभी लोग इन बताए मार्गो पर चले नहीं। जो चले भी उनमें से कुछ बीच रास्ते में ही रह गए, क्योंकि वे आगे नहीं बढ़ सके। पर कुछ ऐसे अवश्य निकले जो आखिरी मंजिल तक पहुंच ही गए। इस मौके पर अरूण जैन, मुकेश शांडिल्य, हरबंस रल्हन, जवाहर परबंदा, श्याम छाबड़ा, सुरेंद्र सिगला, राजबीर तंवर, पवन जिदल, राकेश शर्मा, विरेंद्र मेंहदीरत्ता, सुरेंद्र खुराना, सुखदयाल, राजेश खुराना, सुभाष अनेजा, जितेंद्र भारद्वाज, सोनू छाबड़ा, रघुनंदन शर्मा, सुभाष गर्ग, अजय भाटिया, डॉ. नवीन मल्हौत्रा, डॉ. एसके आहुजा, डॉ. संजय मिढ़ा, डॉ. नरेश शर्मा, अशोक गुप्ता, रमेश खरबंदा, हरिकिशन आहुजा, महेश मिगलानी, गुलशन आहुजा आदि मौजूद थे।