भगवान को याद करने के लिए मंत्र की जरूरत नहीं : आचार्य पवन
जागरण संवाददाता, जींद : जिस प्रकार गंगा की एक बूंद समुद्र के खारे जल को पवित्र कर देने के लिए पर्याप
जागरण संवाददाता, जींद : जिस प्रकार गंगा की एक बूंद समुद्र के खारे जल को पवित्र कर देने के लिए पर्याप्त है, उसी प्रकार पुण्य की एक बूंद ही काफी है। पापों के सागर को सोख लेने के लिए। अत: भगवान के समक्ष जरूरत नहीं ढेर सारे मंत्रों का जाप करने की, जरूरत है तो सच्चे हृदय से परमात्मा को स्मरण करने की, उनको याद करने की और जब तक मनुष्य के हृदय में परमात्मा की याद बसी रहेगी, तब तक वह पाप से बचा रहेगा। यह उद्गार आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में एक माह से चले आ रहे कार्तिक महोत्सव के समापन अवसर पर बुधवार को व्यक्त किया। एक सप्ताह से चली आ रही प्रभात फेरियों का समापन भी आज ही हुआ। इस अवसर पर आयोजित विष्णु महायज्ञ में राजन वर्मा ने सपरिवार पूर्णाहुति अर्पित की।
आचार्य ने कहा प्रभु भजन के लिए अनुकूल समय की प्रतीक्षा मत करो। हर क्षण उनका स्मरण करने के लिए अनुकूल है। उन्होंने संसार की उपमा सागर से करते हुए कहा कि संसार सागर में असुविधारूपी तरंगें तो आती ही रहेंगी। अत: जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, किन्तु इस लक्ष्य को कभी मत भूलना कि मुझे अपने प्रियतम प्रभु से मिलना है, उनसे एकाकार होना है और यही जीवन जीने की सर्वश्रेष्ठ कला है। इस अवसर पर सोमनाथ लखीना, रामजी ¨सधवानी, कार्तिकेय शर्मा, हरीश परूथी, विजय जुनेजा, विनय अरोड़ा, अनिल अरोड़ा, रोहित आहुजा, विपुल जुनेजा, कार्तिक, युवराज, राहुल छाबड़ा मौजूद थे।